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कोरोना के कहर के बीच देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन, हरियाणा के इस संस्थान का अहम योगदान

करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान ने गेहूं की तीन उन्नत और अधिक पैदावार देने वाली किस्में पैदा की हैं. जिनमें एचडी 2967, एचडी 3086, डीबीडब्लू-187 और डीबीडब्लयू-222 शामिल हैं. देश भर में किसान इन्हीं तीन किस्मों के गेहूं की खेती ज्यादा करते हैं.

haryana wheat research institute
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Published : May 29, 2020, 7:03 AM IST

Updated : May 29, 2020, 4:42 PM IST

करनाल: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच देश के लिए अच्छी खबर है. कोरोना के कहर और तमाम समस्याओं के बीच देश के किसानों ने अपनी मेहनत से अन्न के उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी. रबी के सीजन में देश में लगातार चौथी बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. कृषि मंत्रालय के तीसरे अनुमान के मुताबिक अब तक 107.2 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. जो चौथे और अंतिम अनुमान में 108 मिलियन से पार जाने की पूरी उम्मीद है.

ईटीवी भारत ने हरियाणा के करनाल जिले में स्थित देश के एकमात्र राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों से गेहूं की बम्पर पैदावार का राज जानने की कोशिश की. जिनका मानना है कि इस रिकॉर्ड पैदावार में संस्थान द्वारा विकसित किए गए उन्नत गेहूं के बीजों का अहम योगदान है. संस्थान के निदेशक ज्ञानेद्र प्रताप ने कहा कि एक तरफ जहां लॉकडाउन की वजह से सभी सेक्टर मंदी की मार झेल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कृषि क्षेत्र को 4 प्रतिशत का फायदा हुआ है.

कोरोना के कहर के बीच देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन

करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान ने गेहूं की तीन उन्नत और अधिक पैदावार देने वाली किस्में पैदा की हैं. जिनमें एचडी 2967, एचडी 3086, डीबीडब्लू-187 और डीबीडब्लयू-222 शामिल हैं. देश भर में किसान इन्हीं तीन किस्मों के गेहूं की खेती ज्यादा करते हैं. जिसकी वजह से गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन संभव हो पाया है.

संस्थान के निदेशक ज्ञानेद्र प्रताप के मुताबिक इस साल जनवरी के अंत तक करीब तीन करोड़ 36 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी. पिछले साल ये आंकडा करीब 2 करोड़ 99 लाख हेक्टेयर था. गेहूं की इस पूरी बुवाई के आधे हिस्से में इन तीन किस्मों यानि एचडी 2967, एचडी 3086, और डीबीडब्लू 187, डीबीडब्ल्यू-222 के बीज बोये जाते हैं. यानि पूरी पैदावार का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा इन तीन किस्मों से आ रहा है. ये तीनों किस्में गंगा-यमुना मैदानी क्षेत्रों में लगाई जाती हैं. जिसमें प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा शामिल है. गेहूं की ये किस्में ना केवल ज्यादा उत्पादन देती है बल्कि कम पानी भी लेती हैं और बीमारी रोधी भी है.

उन्नत किस्मों से कितना उत्पादन?

ज्ञानेन्द्र प्रताप के मुताबिक औसतन गेहूं उत्पादन 36 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. लेकिन अगर बात करें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की तो यहां पर 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेंहू उत्पादन होता है. इसमें हमारी तीन नई किस्में डीबीडब्ल्यू-222 का 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, डीबीडब्ल्यू-187 80 से 85 क्विंटल, एचडी-3086 का 72 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है. इन किस्मों की वजह से देश गेहूं उत्पादन में नए-नए रिकॉर्ड बना रहा है.

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हरियाणा के करनाल में भारत का इकलौता राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान है. जिसमें गेहूं की नई-नई किस्मों पर रिसर्च किया जाता है. और उन्नत किस्मों को तैयार किया जाता है जो कम लागत में अधिक उत्पादन देती हैं. इन किस्मों की वजह से भारत ने लगातार चौथी बार रिकॉर्ड गेहूं का उत्पादन किया है. अभी ये संस्थान कुछ और किस्मों को लेकर भी रिसर्च कर रहा है. जिससे भविष्य में और कई अधिक पैदावार देने वाली किस्मों विकसित होने की संभावना है.

Last Updated : May 29, 2020, 4:42 PM IST

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