करनाल: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच देश के लिए अच्छी खबर है. कोरोना के कहर और तमाम समस्याओं के बीच देश के किसानों ने अपनी मेहनत से अन्न के उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी. रबी के सीजन में देश में लगातार चौथी बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. कृषि मंत्रालय के तीसरे अनुमान के मुताबिक अब तक 107.2 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. जो चौथे और अंतिम अनुमान में 108 मिलियन से पार जाने की पूरी उम्मीद है.
ईटीवी भारत ने हरियाणा के करनाल जिले में स्थित देश के एकमात्र राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों से गेहूं की बम्पर पैदावार का राज जानने की कोशिश की. जिनका मानना है कि इस रिकॉर्ड पैदावार में संस्थान द्वारा विकसित किए गए उन्नत गेहूं के बीजों का अहम योगदान है. संस्थान के निदेशक ज्ञानेद्र प्रताप ने कहा कि एक तरफ जहां लॉकडाउन की वजह से सभी सेक्टर मंदी की मार झेल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कृषि क्षेत्र को 4 प्रतिशत का फायदा हुआ है.
करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान ने गेहूं की तीन उन्नत और अधिक पैदावार देने वाली किस्में पैदा की हैं. जिनमें एचडी 2967, एचडी 3086, डीबीडब्लू-187 और डीबीडब्लयू-222 शामिल हैं. देश भर में किसान इन्हीं तीन किस्मों के गेहूं की खेती ज्यादा करते हैं. जिसकी वजह से गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन संभव हो पाया है.
संस्थान के निदेशक ज्ञानेद्र प्रताप के मुताबिक इस साल जनवरी के अंत तक करीब तीन करोड़ 36 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी. पिछले साल ये आंकडा करीब 2 करोड़ 99 लाख हेक्टेयर था. गेहूं की इस पूरी बुवाई के आधे हिस्से में इन तीन किस्मों यानि एचडी 2967, एचडी 3086, और डीबीडब्लू 187, डीबीडब्ल्यू-222 के बीज बोये जाते हैं. यानि पूरी पैदावार का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा इन तीन किस्मों से आ रहा है. ये तीनों किस्में गंगा-यमुना मैदानी क्षेत्रों में लगाई जाती हैं. जिसमें प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा शामिल है. गेहूं की ये किस्में ना केवल ज्यादा उत्पादन देती है बल्कि कम पानी भी लेती हैं और बीमारी रोधी भी है.