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चढूनी की अगुवाई में सैकड़ों किसानों का काफिला करनाल पहुंचा, दिल्ली कर रहे हैं कूच - गुरनाम चढूनी किसान काफिला करनाल

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Chaduni) सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ चंडीगढ़ से दिल्ली की ओर रवाना हो चुके हैं. गुरनाम चढूनी ने चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली के किसानों से दिल्ली कूच करने की अपील की थी. ये काफिला शनिवार को करनाल पहुंचा.

gurnam chanduni farmer karnal
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Published : Jul 3, 2021, 7:38 PM IST

करनाल:तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में चल रहा किसान आंदोलन (Farmers Protest) एक बार फिर रफ्तार पकड़ रहा है. बीते कुछ दिनों से सुस्त पड़े आंदोलन में किसान नेताओं ने जान फूंकनी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में भारतीय किसान यूनियन (चढूनी ग्रुप) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली के किसानों के काफिले के साथ दिल्ली कूच कर रहे हैं.

करनाल पहुंचा किसानों का काफिला

गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई वाला किसानों का ये काफिला शनिवार को करनाल पहुंचा. करनाल में कर्ण लेक पर गुरनाम सिंह और बाकी किसानों का स्वागत किया गया. इस मौके पर गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि पंचकूला, मोहाली, चंडीगढ़ से किसानों का जत्था दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर जा रहा है. किसान आंदोलन को और मजबूत करने के लिए ऐसे ही किसानों के जत्थे दिल्ली की सीमाओं पर आते रहेंगे.

गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में किसानों का काफिला करनाल पहुंचा.

सीएम को लेकर फिर किया कटाक्ष

वहीं आज हरियाणा के सीएम मनोहर लाल करनाल के दौरे पर हैं. इस पर गुरनाम सिंह ने कहा कि जो सीएम की सुरक्षा पर पैसा खर्च किया जा रहा है वो देश की सेवा पर खर्च होना चाहिए. काफी तेल फूंका है, काफी जवान लगाए हैं, इन्होंने छोटा सा उद्घाटन करना होता है और फंडबाजी पूरी करते हैं. वहीं सीएम के कार्यक्रम से पहले हिरासत में लिए दो किसानों पर गुरनाम ने कहा कि जब रस्साकशी होगी तो गिरफ्तारियां भी होंगी.

सात महीनों से जारी है किसान आंदोलन

गौरतलब है कि बीते साल 26 नवंबर से तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन चल रहा है. सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने अपने मोर्चे लगाए हुए हैं. किसानों का साफ कहना है कि कानूनों के रद्द होने तक वो वापस नहीं लौटेंगे. वहीं सरकार अभी भी अपने फैसले पर बनी हुई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ये कह चुके हैं कि कानून रद्द नहीं होंगे, अगर किसान चाहें तो सरकार बातचीत दोबारा शुरू कर सकती है.

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