करनाल:हरियाणा में पिछले कई दशकों से गैंगस्टरों का बोलबाला रहा है. कुछ गैंगस्टर नाम और रुतबा पाने के लिए गैंगस्टर बने, कुछ जल्दी अमीर बनने के चक्कर में, तो कुछ ने शौक के लिए अपराध की दुनिया में कदम रखा. कुछ गैंगस्टर ऐसे भी हैं जिनको हालात ने क्राइम के दलदल में धकेल दिया. आज हम बात कर रहे हैं हरियाणा के जाने-माने गैंगस्टर पहलवान कप्तान रंगरूटी खेड़ा की. गैंगस्टर पहलवान कप्तान रंगरूटी खेड़ा ने साल 1996 में अपराध की दुनिया में कदम रखा. उसके बाद अपराध की दुनिया में उसके कारनामें बढ़ते चले गए. गैंगस्टर पहलवान कप्तान रंगरूटी खेड़ा पर हत्या, हत्या के प्रयास, लूट और डकैती के 22 मामले हरियाणा और आसपास के राज्यों में दर्ज हैं.
रंगरूटी खेड़ा गांव का इतिहास: पहलवान कप्तान रंगरूटी खेड़ा रंगरूटी गांव का रहने वाला है. इस गांव का इतिहास पुराना है. बताया जाता है कि 1914 में जो प्रथम विश्व युद्ध हुआ था. उस दौरान ब्रिटिश साम्राज्य की तरफ से घोषणा की गई थी कि जो भी व्यक्ति प्रथम विश्वयुद्ध में अपनी इच्छा अनुसार सेना में भर्ती होना चाहता है, तो वो आमंत्रित है. जितने भी व्यक्ति अपनी इच्छा से तत्कालीन पंजाब से सेना में शामिल हुए थे, युद्ध होने के काफी समय बाद उनको प्रथम विश्व युद्ध में अच्छा प्रदर्शन करने के चलते ब्रिटिश साम्राज्य की तरफ से रंग रूट का खिताब दिया गया था. उन सभी को करनाल जिले में एक जगह दी गई थी. जहां पर सभी सैनिक रिटायरमेंट होने के बाद रहने लगे थे. रंग रूट के खिताब के चलते ही इस गांव का नाम 1920 में रंगरूटी खेड़ा रखा गया था. इसी गांव में ही कप्तान पहलवान रंगरूटी खेड़ा का जन्म हुआ था.
बचपन से ही करता था पहलवानी: रंगरूटी खेड़ा गांव के लोगों का इतिहास काफी गौरवान्वित करने वाला है, इसलिए वहां के निवासी चाहते हैं कि उनकी आने वाली नस्लें भी देश के लिए कुछ करें. उसी के चलते पहलवान कप्तान सिंह ने बचपन से कुश्ती खेलने शुरू कर दी. उसने ग्रामीण लेवल पर कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया. कप्तान सिंह मेहनत कर बड़ा खिलाड़ी बनना चाहता था, ताकि अपने गांव और जिले का नाम रोशन कर सके. कुछ सालों की मेहनत के बाद कप्तान गांव की कुश्ती टीम का कप्तान भी बन गया. इसी के चलते इसका नाम पहलवान कप्तान रंगरूटी खेड़ा पड़ गया. पहलवान कप्तान सिंह का असली नाम प्रवीण कुमार है. बहुत ही कम लोग इसे इस नाम से जानते हैं.
ऐसे बना पहलवान से गैंगस्टर: पहलवान कप्तान रंगरूटी खेड़ा खेलने में काफी अच्छा था और खेल के जरिए एक बड़ा नाम कमाना चाहता था. लेकिन हालात ऐसे बने कि वो गैंगस्टर बन गया. साल 1996 में पहलवान कप्तान रंगरूटी खेड़ा अपने दोस्तों के साथ थिएटर में फिल्म देखने के लिए गया. यहां फिल्म की टिकट को लेकर उसकी एक व्यक्ति से बहस हो गई. जिसेक बाद पहलवान कप्तान रंगरूटी खेड़ा ने उस व्यक्ति को चाकू घोंप कर मौत के घाट उतार दिया. इसके बाद पहलवान कप्तान रंगरूटी खेड़ा ने पहलवानी छोड़कर अपराध की दुनिया में कदम रख दिया.
रोहतक जेल में हुई गैंगस्टर से मुलाकात: साल 2003 में कप्तान रोहतक जेल में बंद था. रोहतक जेल में उस वक्त चार राज्यों का मोस्ट वांटेड अपराधी गोला लाडपुरिया बंद था. उसके साथी किशन को गैंगस्टर अनुप पहलवान ने मारा था. जिसका बदला लेने की ख्वाहिश गोला लाडपुरिया के मन में थी. जेल में बंद होने के दौरान पहलवान कप्तान रंगरूटी खेड़ा की मुलाकात गोला लाडपुरिया से हुई और गोला को वो बहुत ही ज्यादा पसंद आया. उन दोनों की दोस्ती हो गई.