करनाल: मछली पालन में पद्मश्री पुरस्कार जीत चुके करनाल के किसान सुल्तान (haryana padma shri awardee farmer sultan) सिंह अब एरोपोनिक तकनीक से मछली पालन के साथ ऑरगेनिक सब्जियां उगाकर दूसरे किसानों के लिए मिसाल पेश की है. मछली पालक सुल्तान सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि इस तकनीक को उन्होंने कनाडा में देखा था. ये लगभग 5 साल पहले की बात है. उसके बाद उन्होंने इस तकनीक पर काम करना शुरू कर दिया.
इस तकनीक को कामयाब बनाने में सुल्तान सिंह को पांच साल लग गए. सुल्तान सिंह के मुताबिक अब ये तकनीक देश के लाखों मछली पालक किसानों के लिए वरदान साबित होगी. किसान सुल्तान सिंह ने कहा कि इस तकनीक से किसान हर तरह की सब्जियों का उत्पादन कर सकते हैं. जो पूरी तरह से जैविक होगी. खास बात ये होगी कि खेतों में तीन महीने बाद आने वाली सब्जियों की फसल इस तकनीक से केवल 45 दिनों में ही तैयार हो जाती है.
हरियाणा के पद्मश्री अवॉर्डी किसान का कमाल: मछली पालन के साथ इस तकनीक से उगाई ऑर्गेनिक सब्जियां कैसे काम करती है मछली पालन के साथ एरोपोनिक तकनीक? किसान सुल्तान सिंह के मुताबिक एनोपोनिक तकनीक से मछलियों के तालाब के ऊपर थर्माकोल की सीट लगा दी जाती है. ये सीट 1 फुट के अंतराल पर रखी जाती है, ताकि किसान आसानी से सब्जियां तोड़ सकें. इस सीट को लगाने के लिए एक एकड़ में ढाई से तीन लाख रुपये का खर्च आता है. एक बार लग जाने के बाद थर्माकोल की सीट 15 साल तक खराब नहीं होती.
इस तकनीक से सब्जियां पूरी तरह से जैविक होती हैं. एक बार खर्च कर 15 साल तक करें कमाई: मतलब ये कि इसे लगाने में शुरुआत में ही खर्च होगा. उसके बाद किसान 15 साल तक इससे आमदनी ले सकता है. इससे खर्च और मजूदरी बचेगी, खाद और दवाई भी नहीं डालनी पड़ेगी. इससे मछलियों पर भी असर नहीं होता. बल्कि नीचे मछली का मल-मूत्र इन सब्जियों के लिए खाद बन जाता है और पौधो में बार-बार पानी नहीं देना पड़ता. जिससे की सब्जियों की क्वालिटी अच्छी होती है. ये पूरी तरह से जैविक होती है.
इस तकनीक में नीचे तालाब में मछली पालन होता है और ऊपर ऑर्गेनिक सब्जियों का खेती होती है. मछली पालन के साथ एरोपोनिक तकनीक से किसान मछली पालन के साथ जैविक सब्जियों की खेती भी कर पाएगा. उन्होंने बताया कि किसान 1 एकड़ में 64 क्विंटल सब्जियों को पैदा कर सकेगा. अगर मछली की बात करें तो 1 एकड़ से 1 साल में पांच से छह लाख की मछलियां निकाल सकते हैं. पदमश्री अवॉर्ड से सम्मानित नीलोखेड़ी के बूटाना गांव के किसान सुलतान सिंह ने बताया कि ये तकनीक उन्होंने कनाडा में देखी थी और उन्होंने तय कर लिया था कि वो इसे बड़े स्तर पर भारत में जरूर इजाद करेंगे.
मछली के तालाब के ऊपर करीब एक फुट की दूरी पर थर्माकोल की सीट लगाई जाती है. सुल्तान सिंह के बेटे नीरज चौधरी ने बताया कि आम व्यक्ति भी इस तकनीक (aeroponic technology organic vegetables) को अपने घर की छत पर अपनाकर जैविक सब्जियां उगा सकता है. इसके लिए वो आम लोगों को भी ट्रेनिंग देने को तैयार हैं. उन्होंने दावा किया कि भारत में ये इस तरह की पहली तकनीक है जिसमें मछली पालन और आर्गेनिक सब्जियों की खेती एक साथ की जा सकती है.
किसान सुल्तान सिंह ने एरोपोनिक तकनीक से मछली पालन के साथ ऑरगेनिक सब्जियां उगाकर दूसरे किसानों के लिए मिसाल पेश की है. ये भी पढ़ें- मरेठ के पशु मेले में छाया हरियाणा का 10 करोड़ का भैंसा गोलू, साल में कमाता है 25 लाख
इस तकनीक को देखने के लिए मछली विभाग और बागवानी विभाग के कई बड़े अधिकारी पहुंच रहे हैं, ताकि आने वाले समय में इस तकनीक को दूसरों तक पहुंचाया जा सके. बता दें कि किसान सुल्तान सिंह ने मछली पालन में कई कमाल किए हैं. जिसके चलते उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया. सुल्तान सिंह ऐसे मछली पालक हैं, जिन्होंने बहुत कम टेंपरेचर में मछली का एक ऐसा बीज तैयार किया था, जो भारत में तैयार नहीं होता. इसी उपलब्धि को लेकर सुलतान सिंह को पद्मश्री पुरस्कार मिला.