करनाल: करनाल में लघु सचिवालय (karnal Mini Secretariat) पर किसानों का धरना दूसरे दिन भी जारी है (farmer gherav karnal mini secretariat). वहीं आज बार फिर प्रशासन ने किसानों को बातचीत (farmer meeting with administration) के लिए बुलाया था. लगभग तीन घंटे तक चली बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला और ये तीसरी वार्ता भी विफल रही. बता दें कि, मंगलवार को दो दौर की बातचीत बेनतीजा (farmer meeting fail with administration) रहने के बाद से किसान रात भर धरने पर बैठे रहे.
अब एक बार फिर किसान और प्रशासन अपने रुख पर कायम रहे जिसके चलते बातचीत में किसी समझौते तक नहीं पहुंची. किसानों की 11 सदस्यीय कमेटी प्रशासन से बातचीत करने जिला सचिवालय पहुंची थी. मीटिंग में प्रशासन के आला अधिकारी मौजूद रहे. किसान करनाल एसडीएम (karnal SDM Ayush Sinha) पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तीसरी वार्ता विफल रहने के बाद किसानों ने लघु सचिवालय पर सिंघु और टीकरी बॉर्डर के जैसे आंदोलन करने का एलान कर दिया है.
प्रशासन और किसान नेताओं की तीसरी वार्ता भी विफल, जारी रहेगा धरना ये भी पढ़ें-करनाल बना सिंघु बॉर्डर: पूरी तैयारी के साथ बैठे किसान, लंगर, हुक्का और फ्री मेडिकल कैंप सबकुछ
बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अधिकारी हमारी एक भी बात मानने को तैयार नहीं है. एसडीएम पर कार्रवाई की पहली मांग ही नहीं मान रहे तो बाकी दो मांगें तो क्या ही मानेंगे. इसलिए अब करनाल में यहीं सचिवालय पर पक्का मोर्चा बनेगा और धरना चलेगा. किसान तब तक बैठे रहेंगे जब तक सरकार उनकी बात नहीं मानती. यहां भी दिल्ली के बॉर्डर की तरह धरना लगातार चलता रहेगा. यहां पर पूरी तरह से व्यवस्था की जाएगी ताकि किसी भी आने जाने वाले को भी कोई दिक्कत ना हो और किसानों का धरना भी चलता रहे. आसपास के दुकानदार और सचिवालय में काम को लेकर आने वाले लोगों को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी.
गौरतलब है कि 28 अगस्त को हुए लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने तीन मांगें सरकार के सामने रखी थी. पहली मांग ये है कि एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज किया था उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. दूसरी मांग ये है कि जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को 25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए. तीसरी मांग ये है कि पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसानों ने सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सरकार ने इन मांगों को मानने से साफ इनकार कर दिया था.
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इसके बाद मंगलवार को किसान एक मांग पर आ गए थे. किसान एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने ये मांग भी नहीं मानी. इसके बाद किसानों ने महापंचायत के बाद लघु सचिवालय का घेराव कर वहीं डेला डाल दिया. बहरहाल जोरदार प्रदर्शन, बैरिकेड़ तोड़ने और पानी की बौछारों के बीच किसानों ने जिला सचिवालय घेर लिया. किसान नेता राकेश टिकैत बाकी किसानों के साथ सचिवालय के गेट पर ही धरने पर बैठ गए.