करनाल: परिवार पहचान पत्र की खामियों को ठीक कराने के लिए आमजन को सरकारी दफ्तरों के धक्के खाने पड़ रहे हैं. यही नहीं ये पहचान पत्र विकलांग लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गया है. लेकिन समाधान के बजाय उन्हें केवल आश्वासन मिल रहा है. परिवार पहचान पत्र में खामी के चलते कई विकलांगों को सरकारी सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है.
विकलांग कल्याण अधिकार समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप पांचाल ने कहा कि हमारे विकलांग कमिश्नर ने विकलांगों की जो इनकम की लिमिट बताई थी वो 3 लाख 50 हजार थी. उन्होंने कहा था कि इस इनकम लिमिट के अंदर आपको सुविधाएं मिलेंगी. लेकिन अब सरकार ने परिवार पहचान पत्र में 1 लाख 80 हजार की इनकम तय कर दी है, जिसके कारण हमारे राशन कार्ड तथा बाकी सभी सुविधाएं काट दी गई हैं.
पहचान पत्र में कमियां दिखाते पीड़ित. विकलांगों का कहना है कि हमें बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जब विकलांगों के लिए 3 लाख 50 हजार रुपए की बात कही गई थी तो उन्हें आम आदमी की इनकम के साथ क्यों जोड़ा जा रहा है. कुलदीप पांचाल ने कहा कि मैं और मेरी बीवी दोनों विकलांग हैं. मेरी मां विधवा है. हम सिर्फ एक पेंशन पर अपना गुजारा कर रहे हैं.
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कुलदीप पांचाल का कहना है कि मैं और मेरी पत्नी की इनकम 6 लाख बनती है जो कि परिवार पहचान पत्र में 5 लाख दिखाई गई है. परिवार पहचान पत्र बनाने वालों ने उन्हें सरकारी कर्मचारी दिखा रखा है. उनके परिवार पहचान पत्र में इस समस्या को ठीक कराने के लिए वो कई बार सरकारी अधिकारियों के चक्कर काट चुके हैं लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है. हम सरकार से मांग करते हैं कि हमारी इनकम के आधार पर ही सभी सुविधाएं दी जाएं, जैसे कि आयुष्मान कार्ड और आरोग्य बीपीएल कार्ड प्रदान किये जायें.
विकलांक सरकारी ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं. जब इस बारे में करनाल एडीसी वैशाली शर्मा से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया ये समस्या है लेकिन जल्द ही इसका निवारण करने की कोशिश की जाएगी. जब उनसे सवाल किया गया कि कुछ विकलांग लोगों को सरकारी नौकरी या पेंशन लेने वाला दिखाया गया है. आखिर कोई विकलांग अपने आपको सरकारी नौकरी वाला क्यों बताएगा. इस पर उन्होंने परिवार पहचान पत्र बनाने वाले लोगों पर कार्रवाई करने और खामियों को ठीक करने का आश्वासन दिया.
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