करनाल:हिंदू धर्म में एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है. एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, इसलिए विधि विधान से व्रत रखकर भगवान विष्णु का गुण गान किया जाता है. वैसे तो सनातन धर्म में सभी एकादशी अपने आप में अपना विशेष महत्व रखती है लेकिन देवउठनी एकादशी का सबसे ज्यादा महत्व होता है. माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की अपनी निद्रा से जागते हैं और इस एकादशी के दिन से ही सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.
देवउठनी एकादशी का आरंभ: पंडित कर्मपाल शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि देवउठनी एकादशी का आरंभ 22 नवंबर को रात 11:03 बजे से शुरू होगा जबकि इसका समापन 23 नवंबर को रात 9:01 पर होगा. देव उठनी एकादशी का व्रत 23 नवंबर को रखा जाएगा. और इसके पारण का समय 24 नवंबर को सुबह 6 से 8:23 मिनट तक रहेगा.
देवउठनी एकादशी पर शुभ संयोग:इस बार देवउठनी एकादशी के दिन कई शुभ सयोंग बन रहे हैं, जिसके चलते यह एकादशी काफी अच्छी मानी जा रही है. इस दिन रवि योग, सिद्धि योग और सर्वार्थ योग बन रहा है. रवि योग 23 नवंबर को सुबह 6:50 से शुरू होकर शाम के 5:16 मिनट तक रहेगा. सिद्धि योग 23 नवंबर को सुबह 11:54 से शुरू होकर 24 नवंबर को 9:05 तक रहेगा. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग 23 नवंबर को शाम के 5:16 से शुरू होकर 24 नवंबर को सुबह 6:51 तक रहेगा. इस दिन इस समय के दौरान पूजा अर्चना करने से विशेष फल मिलेगा.
देवउठनी से शुरू होंगे सभी मांगलिक कार्य: मान्याता है कि भगवान विष्णु 4 महीने निद्रा की अवस्था में चले जाते हैं, जिनको चौमासा कहा जाता है. इसमें हिंदू वर्ष के चार महीने शामिल होते हैं और कार्तिक महीने की देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी 4 महीने की निंद्रा से जाग जाते हैं. इस दौरान सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. ये भी मानता है कि जब 4 महीने भगवान विष्णु निद्रा की अवस्था में होते हैं तो उस दौरान सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों में रोक लग जाती है.
देवउठनी एकादशी का महत्व: देवउठनी एकादशी दिवाली के 11 दिन बाद मनाई जाती है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. कार्तिक महीना भगवान विष्णु का प्रिय होता है और उसी के चलते देवउठनी एकादशी इसी महीने में आती है. इस दिन अगर कोई भगवान विष्णु को पीले रंग के फल, फूल और वस्त्र अर्पित करता है तो भगवान विष्णु उनसे काफी प्रसन्न होते हैं. माना जाता है कि पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिया होता है.