करनाल: राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल में भारत की पहली क्लोन गिर गाय की बछड़ी का जन्म हुआ है. इसका जन्म स्वदेशी तकनीक के जरिए किया गया है. राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान ने 2021 में उत्तराखंड लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड देहरादून के सहयोग से राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल के पूर्व निदेशक डॉ. एमएस चौहान के नेतृत्व में गिर, साहीवाल और रेड-सिंधी जैसी देशी गायों की क्लोनिंग का कार्य शुरू किया था. विश्व स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले पशुओं का उत्पादन करने के लिए सहायक प्रजनन तकनीक के जरिए इसका संतोषजनक परिणाम मिला है. अन्य प्रजनन तकनीक की अपेक्षा, पशु क्लोनिंग तकनीक से बहुत तीव्र गति से उच्च गुणवत्ता वाले पशुओं की संख्या और लुप्तप्राय पशु नस्लों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है.
जानकारी के अनुसार गिर, साहीवाल, थारपारकर और रेड-सिंधी जैसी देशी गायों की नस्लें भारत के दुग्ध उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इन गाय तथा भैसों से प्राप्त दुग्ध ने ही भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाया हैं. देशी गायों की कम उत्पादकता, भारत में सतत दुग्ध उत्पादन के लिए एक बड़ी चुनौती हैं. जिससे दुग्ध उत्पादन में वृद्धि देखने को मिली है.
देशी गायों के सरंक्षण और संख्या वृद्धि के लिए पशु क्लोनिंग तकनीक विकसित करना एक अत्यधिक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा. इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत 16 मार्च 2023 को गिर नस्ल की एक क्लोन बछड़ी पैदा हुई. जन्म के समय इसका वजन 32 किलोग्राम था और वह स्वस्थ है. गिर गाय भारत की देशी गाय की एक प्रसिद्ध नस्ल है, जो मूलतः गुजरात में पाई जाती है. इस नस्ल का उपयोग अन्य नस्लों की गुणवत्ता सुधार के रूप से किया जा रहा है.
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गिर गाय, अन्य गाय की नस्लों के अपेक्षा, बहुत अधिक सहनशील होती है, जो अत्यधिक तापमान व ठंड को आसानी से सहन कर लेती है और विभिन्न ऊष्ण कटिबंध रोगों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है. इसी कारण हमारे यहां कि देशी गायों की ब्राजील, अमेरिका, मैक्सिको और वेनेजुएला में बहुत मांग हैं. वैज्ञानिकों की एक टीम क्लोन गायों के उत्पादन के लिए स्वदेशी विधि विकसित करने के लिए पिछले 2 साल से अधिक समय से काम कर रही थी.