करनाल: हिंदू धर्म में महीनों की गणना हिंदू पंचांग के आधार पर की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार 4 जून को पूर्णिमा के साथ ज्येष्ठ महीने का समापन हो रहा है वही हिंदू वर्ष का 5 जून से चौथा महीना आषाढ़ शुरू हो रहा है. जबकि इसका समापन 3 जुलाई को होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू वर्ष के प्रत्येक महीने का हिंदू धर्म में अलग ही महत्व होता है और हिंदू महीने को दो भागों में बांटा जाता है जिसमें 15 दिन शुक्ल पक्ष के होते हैं तो 15 दिन कृष्ण पक्ष के होते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि आषाढ़ के महीने में भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है इसके साथ ही मंगल देव की पूजा भी की जाती है. आषाढ़ के महीने में भगवान विष्णु और भगवान शिव की भी पूजा अर्चना की जाती है और माना जाता है कि यह महीना उनको समर्पित होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ के महीने में चंद्रदेव पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के बीच में होता है इसलिए इस महीने का नाम इन दोनों नक्षत्रों के आधार पर ही आषाढ़ रखा गया है.
आषाढ़ महीने का महत्व: आषाढ़ महीने का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है. इस महीने में खासकर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है जो भी मनुष्य इस महीने में भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं उनके परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और वह सफलता पाते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि आषाढ़ के महीने में भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना करनी चाहिए.
वह इस महीने में गर्मी पूरी चरम सीमा पर होती है तो इसलिए पानी का दान करना चाहिए और ठंडी चीजों का दान करना चाहिए. मान्याता है कि इस महीने में पानी का दान करने से मनुष्य के सारे पाप व कष्ट दूर हो जाते हैं. आषाढ़ के महीने में एकादशी, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना, आम खिलाना, खरबूजे का फल, वस्त्र, मिठाई आदि की दक्षिणा देना और अपनी इच्छा अनुसार दान देने का बहुत ज्यादा महत्व है. शास्त्रों में बताया गया है कि आषाढ़ महीने में आने वाले योगिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को 88,000 ब्राह्मण व गाय को भोजन कराने के बराबर का पुण्य मिलता है.
इस महीने से शुरू होता है चातुर्मास, बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य: सनातन धर्म चातुर्मास का विशेष महत्व बताया गया है. इसको साधारण भाषा में चौमासा भी कहा जाता है. आषाढ़ का महीना शुरू होते ही चातुर्मास शुरू हो जाता है, जो 4 महीने तक रहता है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस महीने के शुरू होते ही भगवान विष्णु गहरी निद्रा में चले जाते हैं जिसके चलते इन 4 महीनों के दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक व शुभ कार्य नहीं किए जाते. इन 4 महीनों में आषाढ़, सावन, भादो, अश्विन शामिल होते हैं कार्तिक महीने में जाकर यह खत्म होता है. जो ऋषि मुनि होते हैं इन चार महीनों में एक ही स्थान पर तप करते हैं.
शास्त्रों में बताया गया है कि हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने की देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा धारण कर लेते हैं. जिसके चलते सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों करने बंद हो जाते हैं. और विष्णु भगवान कार्तिक महीने की देवोत्थान एकादशी के दिन योग निद्रा से उठते हैं उसके बाद मांगलिक कार्य करने शुरू हो जाते हैं . हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्मास का प्रारंभ 29 जून से होगा जबकि इसका समापन 23 नवंबर को होगा.