करनाल: हरियाणा सहित दूसरे राज्यों में भी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तैयारी शुरू हो चुकी है. हरियाणा में बीजेपी की सरकार को बने हुए 9 साल पूरे होने पर एक रैली का आयोजन किया जा रहा है. करनाल के नमस्ते चौक के पास दशहरा ग्राउंड में आयोजित इस रैली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे. वहीं, इस रैली का आगामी लोकसभा चुनाव 2024 और हरियाणा विधानसभा चुनाव में क्या प्रभाव पड़ेगा, क्या वह अपने वोट बैंक इस रैली के जरिए बढ़ा पाएंगे. इन सभी तमाम मुद्दों पर ईटीवी भारत ने कुछ वरिष्ठ पत्रकारों से बातचीत की और जाना कि इस रैली के क्या मायने हैं?
अमित शाह की रैली 2024 के चुनाव का आगाज!: हरियाणा में लंबे समय से पत्रकारिता से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार विनोद मैहला कहते हैं 'केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कि इस रैली से बीजेपी का वोट बैंक अवश्य बढ़ेगा. मौजूदा समय में हरियाणा में बीजेपी की स्थिति काफी खराब है, जिनसे उभरने के लिए अब केंद्रीय स्तर के बड़े नेता हरियाणा में सक्रिय हो गए हैं. हरियाणा में सरकार के 9 साल पूरे होने पर कार्यक्रम आयोजित किया गया है. हालांकि इस कार्यक्रम में अंत्योदय वाले लाभार्थियों को गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा योजनाओं का लाभ दिया जाएगा, लेकिन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सिर्फ यही नहीं है. इस रैली के माध्यम से वोट बैंक बढ़ाने की भी कोशिश रहेगी.'
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैली के लिए मुख्यमंत्री के गृह जिले को क्यों चुना गया?: विनोद मैहला के अनुसार करनाल हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का गृह जिला है. यही वजह है कि अमित शाह की रैली के लिए यहां कार्यक्रम करना ज्यादा उचित समझा गया. मुख्यमंत्री यहां से 2 बार विधायक रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव 2019 हरियाणा में यहां से सबसे ज्यादा वोट से लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद संजय भाटिया जीते थे. करनाल की 5 विधानसभा सीटों में से 3 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. चौथी सीट जिसपर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी, उन्होंने भी बीजेपी को समर्थन दिया हुआ है. ऐसे में करनाल में कार्यक्रम रखा गया है.
जीटी रोड बेल्ट सहित उत्तर भारत पर पड़ेगा प्रभाव!: वरिष्ठ पत्रकार विनोद मैहला ने ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए कहा 'हरियाणा की राजनीति में उत्तर भारत और जीटी रोड बेल्ट काफी मायने रखती है. माना जाता है कि जो भी पार्टी जीटी बेल्ट पर ज्यादा सीट हासिल कर लेती है, हरियाणा में उसी की सरकार बनती है. अमित शाह की इस रैली से लोक सभा सीट अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल और सोनीपत पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ने वाला है. इसके साथ ही जो उत्तरी हरियाणा के कई अन्य जिले हैं उनमें भी इस रैली का विशेष प्रभाव पड़ेगा.'
हरियाणा में बीजेपी का वोट प्रतिशत गिरने का मुख्य कारण:अगर 2014 के विधानसभा चुनाव की बात करें 2014 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 47 सीट हासिल की थी. इस वजह से बिना किसी के समर्थन के ही बीजेपी सरकार बनने में सफल हो पाई थी. लेकिन, तब नरेंद्र मोदी के नाम पर ही इतनी वोट मिली थी. धीरे-धीरे यह वोट बैंक काम होता गया. 2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 40 सीटें ही मिल पाई. जिसके चलते जेजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चल रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अब परिस्थितियां और भी ज्यादा बदल गई है, बीजेपी का वोट बैंक लगातार काम होता जा रहा है. वोट बैंक कम होने के कई कारण हैं.
किसान आंदोलन: राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो हरियाणा में बीजेपी का वोट बैंक कम होने का मुख्य कारण किसान आंदोलन रहा है, यहां किसान और कमेरा वर्ग काफी नाराज चल रहा है. हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां पर बड़े स्तर पर खेती बाड़ी की जाती है. हरियाणा में जाट वोट बैंक ज्यादा है जो किसान आंदोलन के चलते भाजपा सरकार से नाराज चलते आ रहे हैं. हालांकि हरियाणा में अन्य कई दूसरी जातियां भी हैं जो बड़े स्तर पर खेती करती हैं, लेकिन हरियाणा में बड़ी संख्या में जाट रहते हैं. किसान आंदोलन के चलते हरियाणा में बीजेपी का एक बहुत ही ज्यादा बड़ा वोट बैंक कम हुआ है.
नए सरपंचों के विकास कार्य में लगने वाले पैसों की लिमिट कम करना:वरिष्ठ पत्रकार ने कहा पंचायत समिति के चुनाव होने के बाद जो नए सरपंच बनाए गए, उनके लिए सरकार के द्वारा कुछ नए आदेश जारी किए गए थे, जिसमें वह अपने गांव में विकास कार्य केवल 5 लाख रुपए तक के कार्य के ही करवा सकते हैं. हालांकि इसकी लिमिट शुरू में ₹200000 रखी गई थी. उसके बाद भी सरपंच इससे संतुष्ट नहीं हैं. यहा वजह है कि सरपंच बीजेपी सरकार के खिलाफ चल रहे हैं. ऐसे में सरपंचों का बीजेपी के खिलाफ होना भी बीजेपी का वोट बैंक कम होने का मुख्य कारण है.
'कार्यकर्ताओं की नाराजगी के चलते गिरा भाजपा का ग्राफ':राजनति विश्लेषक ने बताया कि हरियाणा में बीजेपी का वोट बैंक कम होने का मुख्य कारण उनके कार्यकर्ता भी हैं. क्योंकि कार्यकर्ताओं के काम नहीं हो रहे और ना ही उनकी कहीं पर कोई बात मानता है. ऐसे में बीजेपी कार्यकर्ताओं में काफी निराशा है और वह अभी से ही पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में अपनी राह ढूंढ रहे हैं.