करनाल:लघु सचिवालय पर चल रहे किसानों के धरने (karnal farmer protest) पर अब सिंघु और टीकरी बॉर्डर जैसे नजारे देखने को मिल रहे हैं. अब तक यहां लंगर, फ्री मेडिकल सेवा, आदि देखने को मिल रहे थे तो वहीं अब करनाल मोर्टे पर सुविधाओं से लैस ट्रॉली भी पहुंच गई है. महिलाओं व बच्चों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए ट्रॉली में पूरे इंतजाम किए गए हैं. बता दें कि, कैथल के गांव हावड़ी के ग्रामीणों ने मिलकर किसान आंदोलन के लिए सुविधाओं से लैस ट्रॉली तैयार की है.
किसान अब इसे लेकर करनाल आंदोलन में पहुंचे हैं. इस ट्रॉली में बैठने के लिए चेयर लगी है, गर्मी ना लगे इसके लिए पंखों का इंतजाम किया गया है. मनोरंजन के लिए म्यूजिक सिस्टम भी इस ट्रॉली में लगाया गया है. इंटरनेट की किसी प्रकार की समस्या ना आए इसके लिए वाईफाई का इंतजाम किया गया है. ये पूरी ट्रॉली सोलर पैनल से चलती है. दिन हो या रात, बारिश हो या धूप, आंदोलन में बच्चों व महिलाओं को कोई परेशानी ना आए इसके लिए ट्रॉली को तैयार किया गया है.
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धरना स्थल पर ट्रॉली को लेकर आए किसानों ने कहा कि उनके गांव के एक किसान कनाडा में रहते हैं जिसने 12 लाख रुपये की लागत से ये ट्रैक्टर ट्रॉली गांव वालों को दी है. इसको लेकर हम यहां करनाल में पहुंचे हैं. इसका फायदा हर किसान भाई उठा सकता है. अगर किसी का फोन चार्ज नहीं है तो फोन यहां पर चार्ज कर सकता है. इस ट्रॉली के ऊपर सोलर सिस्टम भी लगाया गया है जिससे सोलर से पंखे चलते रहते हैं. इसके अलावा भी इस ट्रॉली में कई सुविधाएं हैं.
गौरतलब है कि बीते दिनों सीएम मनोहर लाल का एक कार्यक्रम करनाल में हुआ था. जिसका किसान विरोध कर रहे थे. इसकी सुरक्षा का जिम्मा तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के हाथों में था. इश दौरान किसानों पर लाठीचार्ज किया गया था. उसी वक्त का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें आयुष सिन्हा कहते दिख रहे हैं कि जो भी किसान यहां आने की कोशिश करे उसका सिर फोड़ देना, इसी पर किसान भड़के हुए हैं, और करनाल लघु सचिवालय के बाहर धरना दे रहे हैं, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए थे.
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लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने तीन मांगें सरकार के सामने रखी थी. पहली मांग ये है कि एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज किया था, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. दूसरी मांग ये है कि जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को 25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए. तीसरी मांग ये है कि पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसानों ने सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सरकार ने इन मांगों को मानने से साफ इनकार कर दिया था, जिसके बाद किसानों ने महापंचायत कर लघु सचिवालय पर धरना शुरू कर दिया था.