करनाल: मोटे अनाज के फायदों को देखते हुए इसे लोकप्रिय बनाने की भारत ने पहल कर दी है. पीएम मोदी ने कहा है कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है. 2023 में देश भर के कृषि संस्थान मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाएंगे. राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल (National Wheat Barley Research Institute Karnal) ने इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी हैं. मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए संस्थान गेहूं और मोटे अनाज को मिलाकर विभिन्न खाद उत्पाद तैयार कर रहा है. इसके अलावा संस्थान में कृषि विशेषज्ञ किसानों को शिक्षित कर उन्हें अपनी आय को बढ़ाने के गुर सिखाएंगे. (International Year of Millets)
संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने 2023 को मोटे अनाज का वर्ष घोषित (2023 declared International Year Millets) किया है. 1 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिलेट्स ईयर की शुरुआत करेंगे. इस दिन उनका संस्थान भी इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम से सीधा जुड़ेगा. उन्होंने कहा कि मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए संस्थान गेहूं के साथ मोटे अनाज को मिलाकर विभिन्न खाद उत्पाद तैयार कर रहा है. इन खाद उत्पादों में चपाती के अलावा ब्रेड और बिस्किट शामिल है.
उन्होंने कहा कि मोटे अनाज की खेती से किसानों की लागत में कमी आएगी और उनकी आय में बढ़ोतरी होगी क्योंकि मोटे अनाज के उत्पादन में पानी,बिजली और लेबर का कम खर्च आता है. स्वास्थ्य वर्धक होने के कारण आम जनमानस में इसकी स्वीकार्यता भी तेजी से बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि मोटे अनाज के महत्व के प्रति भारत पूरे विश्व को जागृत करेगा.
निदेशक ने कहा कि अब हमें धान और गेहूं के अलावा अन्य फसलों पर भी ध्यान देना होगा. इसमें मोटे अनाज अहम भूमिका निभा सकते हैं. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बड़ा दृष्टिकोण है जो उन्होंने मोटे अनाज को एक अभियान के रूप में लिया है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी कृषि संस्थानों को केंद्र सरकार की तरफ से गाइडलाइन मिल चुकी है कि वह किस प्रकार मिलेट्स स्कूल लंच में शामिल करें और इसे लोकप्रिय बनाने के लिए कैसे आगे काम करें.