कैथल: तीन कृषि कानूनों के बाद किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या है पराली का निष्पादन. हर साल धान की फसल की कटाई के बाद पराली का निष्पादन राष्ट्रीय स्तर पर बहस का मुद्दा बन जाता है. हालात ये हैं कि आज भी ज्यादातर किसान पराली के विकल्प की तलाश कर रहे हैं. ऐसे में कैथल के फर्श माजरा गांव के किसान ने पराली की समस्या का समाधान निकाला है. वीरेंद्र नाम के युवा किसान ने पराली प्रबंधन को कारोबार का रूप दिया और महज एक साल में दो करोड़ रुपये की कमाई कर डाली. इस सीजन में दो महीने में उनकी 50 लाख रुपये की आय हो चुकी है. इतना ही नहीं वीरेंद्र इस काम के जरिए करीब 200 युवाओं को रोजगार दे रहे हैं.
इससे पहले वीरेंद्र ने आस्ट्रेलिया में 8 साल जॉब की है. मजबूरी की वजह से उन्हे साल 2015 में स्वदेश लौटना पड़ा. घर लौटने पर जब इन्होंने खेती शुरू की, तो पराली की समस्या इनके सामने आई. पराली को जलाना वीरेंद्र को सही नहीं लगा. क्योंकि उससे प्रदूषण ज्यादा होता था. इसलिए वीरेंद्र ने ऐसा विकल्प तलाशा जिसकी वजह से उन्होंने फसल-अवशेषों के प्रबंधन को कारोबार का रूप दे दिया. अब फर्श माजरा के ज्यादातर किसान फसल अवशेषों के जलाने की जगह उसे मशीनों के जरिए गट्ठड़ बनाकर निष्पादन कर रहे हैं.
तीन मशीनों के जरिए होता है काम
कृषि विभाग से युवा किसान वीरेंद्र ने तीन मशीनें ली हैं. एक मशीन तो फानों को काटने का काम करती है. इसके बाद कटे हुए फानों को दूरी मशीन एक लाइन में लगाती हुई चलती है. इसके बाद तीसरी मशीन स्ट्रा बेलर पराली के गट्ठड़ बना देती है. फिर इनको ट्रैक्टर ट्रॉली में लोड कर पेपर मिल को हैंडवओवर कर देते हैं. जिन युवाओं को इस मशीन की वजह से रोजगार मिला है वो भी इससे काफी खुश नजर आए. युवाओं ने इस मशीन की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि एक और इससे प्रदूषण कम होता है तो दूसरी और काम भी पहले से आसान हो गया है.
कृषि विभाग के अधिकारी पुरुषोत्तम लाल और सहायक कृषि अधिकारी डॉ. सज्जन सिंह के सुझाव के बाद वीरेंद्र ने नवंबर, 2019 में एक स्ट्रॉ बेलर लिया. जिससे उसे सकारात्म परिणाम देखने को मिले. कृषि अधिकारी के मुताबिक किसानों के लिए ये मुनाफे का सौदा है. युवा किसान वीरेंद्र हो या फिर कृषि अधिकारी सभी किसानों से इन नई तकनीक को अपनाने की मांग कर रहे हैं. कृषि अधिकारियों ने दावा किया है कि आने वाले दिनों में ये तकनीक किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित होगी.