कैथल: कोरोना महामारी के बाद लोग सेहत को लेकर पहले से ज्यादा सजग हो गए हैं. बात खाने-पीने की करें तो लोग अब गुणवत्ता से समझौता करना कतई पसंद नहीं करते. होटल हो या फिर रेस्टोरेंट्स, यहां लोगों को स्वादिष्ट खाना तो मिल जाता है, लेकिन उसकी गुणवत्ता क्या होती है. इसका डर हमेशा बना रहता है.
होटल और रेस्टोरेंट्स लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ ना करे. इसके लिए फूड सेफ्टी विभाग लगातार काम करता है. दरअसल किसी भी होटल, रेस्त्रां, खुदरा विक्रेता और मांस की इकाईयों को लिए लाइसेंस लेना जरूरी होता है. होटल संचालक विभाग के नियमों को ध्यान में रखकर खाना बनाते हैं.
खाद्य पदार्थ विक्रेताओं को हर साल लाइसेंस रिन्यू करवाना जरूरी कैथल में करीब 29 होटल हैं. जो लाइसेंस प्राप्त हैं. अगर ढाबों की बात करें तो इसकी गिनती 100 से ऊपर बनती है. खाने का सामान बनाने वाली रेहड़ियां भी फूड सेफ्टी विभाग के तहत आती हैं. ऐसे में ईटीवी भारत हरियाणा ने ये पता लगाने की कोशिश की कि क्या होटल और रेस्टोरेंट ने लाइसेंस लिया है या नहीं.
साल 2020 में 36 ईकाइयों पर कार्रवाई
फूड सेफ्टी ऑफिसर डॉक्टर राजीव कुमार ने ईटीवी भारत हरियाणा से कहा कि जिले में काफी संख्या में रेस्टोरेंट, ढाबा, रेहड़ियां और छोटी दुकानें हैं. इन सभी से हमने साल भर में 135 सैंपल लिए हैं. जिनमें से 36 सैंपल फेल आए हैं. जिसपर विभाग ने कार्रवाई की है. राजीव कुमार ने कहा कि फिलहाल शहर में कोई भी होटल या रेस्टोरेंट बिना लाइसेंस के नहीं चल रहा है. अगर कोई है भी तो विभाग छापेमारी अभियान चलाकर ऐसे लोगों पर शिकंजा कसेगा.
क्या है लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया?
- होटल, रेस्टोरेंट, दुकान, रेहड़ी के लिए लोकेशन की जानकारी
- पहचान पत्र, खुद की फोटो, रेंट एग्रीमेंट की फोटो कॉपी
- लाइसेंस के लिए पानी की रिपोर्ट भी अटैच करनी होती है
- ये सब चीजें फूड सप्लाई विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करें
- फूड सप्लाई विभाग की वेबसाइट का नाम फोर्स कोर्स है
- विभाग की तरफ से आवेदनकर्ता को निरीक्षण का वक्त निर्धारित किया जाता है
- निरीक्षण के बाद अगर आपकी जानकारी ठीक मिलती है तो आपको लाइसेंस मिल जाता है
- लाइसेंस बनाने की ये प्रक्रिया करीब दो महीने लंबी होती है
कैसे कार्रवाई करती है विभाग की टीम?
- समय-समय पर छापेमारी अभियान चलाया जाता है
- दुकानों, रेस्टोरेंट, होटलों से खाद्य पदार्थ के सैंपल लिए जाते है
- सैंपल को जांच के लिए लैब में भेजा जाता है
- 20 से 25 दिन बाद सैंपल की रिपोर्ट आती है
- इस दौरान दुकानदार को भी वक्त दिया जाता है कि वो कहीं और से भी सैंपल टेस्ट करवा सकता है.
- सैंपल रिपोर्ट फेल होने, ज्यादा गुणवत्ता खराब होने पर संचालक को नोटिस दिया जाता है
- इसके बाद खाद्य पदार्थ ईकाई को सील कर दिया जाता है
- आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाता है, जहां जुर्माने और सजा का प्रावधान है
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फूड एंड सेफ्टी विभाग के अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि समय-समय पर हम लाइसेंस भी चेक करते हैं. जिसके पास लाइसेंस नहीं मिलता उनको कारण बताओ नोटिस दिया जाता है. साथ ही उन्हें लाइसेंस बनाने के लिए कुछ वक्त दिया जाता है. अगर तय वक्त में भी कोई लाइसेंस नहीं बनवाता तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाती है.