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टिकट ना मिलने पर फूटा पूंडरी के बीजेपी नेता रणधीर गोलन का दर्द, जनता के सामने फूट-फूटकर रोये - randhir golan independent candidate

पूंडरी सीट से बीजेपी ने पिछली बार चुनाव लड़े रणधीर गोलन को इस बार टिकट नहीं दिया है. बीजेपी ने इस बार पूंडरी से वेदपाल एडवोकेट को चुनावी मैदान में उतारा है. इससे नाराज रणधीर गोलन ने अब आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.

रणधीर गोलन

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Published : Oct 1, 2019, 8:24 PM IST

कैथल: बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है. बीजेपी ने 78 उम्मीदवारों की लिस्ट में पिछला चुनाव लड़े कई उम्मीदवारों का पत्ता साफ हो गया है. इसी में एक नाम है पूंडरी से चुनाव लड़े रणधीर गोलन का. उन्होंने बीजेपी की टिकट पर 2014 में चुनाव लड़ा था और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

बीजेपी ने मुझे धोखा दिया- रणधीर गोलन
बीजेपी द्वारा इस बार टिकट न दिए जाने पर रणधीर गोलन ने कहा कि मेरी तीस वर्ष की तपस्या का फल भाजपा ने धोखा देकर दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि सीएम ने षडय़ंत्र के तहत उनका टिकट कटवाया है. रणधीर गोलन ने कहा कि मेरे दोनों बच्चे भी भाजपा में पैदा हुए और आज खुद बच्चों वाले हो चुके हैं.

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आजाद लड़ने का किया ऐलान
इसके साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं की सहमति से भाजपा से बगावत करते हुए आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का भी ऐलान किया. हजारों कार्यकर्ताओं ने भाजपा पार्टी के बाहरी प्रत्याशी का विरोध करते हुए गोलन को अपना प्रत्याशी घोषित किया.

टिकट ना मिलने से पूंडरी से बीजेपी नेता रणधीर गोलन का फूटा दर्द, देखें वीडियो

'मैंने पार्टी को 30 साल दिए, लेकिन पार्टी ने पीठ में छुरा घोंपा'
रणधीर गोलन ने रोते हुए कार्यकर्ताओं के बीच में अपना दर्द प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने 30 सालों से बगैर कोई परवाह किए पार्टी के लिए दिनरात अपना खून-पसीना दिया और अब जब मौका आया तो पार्टी ने पीठ में छुरा घोंपने का काम किया.

सीएम और रणधीर गोलन में है खींचतान !
रणधीर गोलन ने कहा कि मेरा इतना कसूर था कि कार्य कार्यकारिणी की बैठक में बिजली निगम द्वारा आए दिन डाले जाने वाले बिजली चोरी के छापों को बंद करने के लिए आवाज उठाई थी. जिसकी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गांठ बांध ली और उन्हें सरकार के खिलाफ बोलने जैसे आरोप लगा दिए.

पूंडरी का राजनीतिक इतिहास
कैथल जिले की विधानसभा पूंडरी से निर्दलीय उम्मीदवारों के जीतने की शुरुआत 1968 में हुई. उस दौरान चौधरी ईश्वर सिंह को इलाके की जनता ने अपना विधायक चुनकर विधानसभा में भेजा. उसके बाद 1972 से 1991 के बीच हुए विधानसभा चुनाव में तीन बार कांग्रेस और एक-एक बार जेएनपी और लोकदल उम्मीदवार को जीत हासिल हुई, लेकिन 1996 से लेकर साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव तक केवल आजाद उम्मीदवारों को ही पूंडरी की जनता ने विधानसभा में भेजा.

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