कैथल: कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने चीका की अनाज मंडी का दौरा किया. आढ़ती, किसान और मजदूरों के साथ बात करने के बाद रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. धान के मुद्दे पर रणदीप सुरजेवाला ने खट्टर सरकार को आड़े हाथ लिया. रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार आए दिन उत्तरी हरियाणा और खास तौर पर कैथल जिले के किसानों से दुश्मनी निकाल रही है.
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आए दिन किसानों को नए-नए घाव देना खट्टर सरकार की आदत बन गई है. लगता है कि अन्नदाता किसान को चोट पहुंचाना ही बीजेपी-जेजेपी सरकार का राजधर्म है. सुरजेवाला ने कहा कि अब तो पानी सिर से पार हो गया है, क्योंकि खट्टर सरकार ने कैथल के किसान की खेती उजाड़ने, आढ़ती और दुकानदार का धंधा बंद करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने राईस सेलर और चावल उद्योग पर तालाबंदी करने का प्लान बनाया. जिसके बाद उसे 9 मई को एक तानाशाही हुक्म जारी कर दिया.
सरकार ने क्या कहा?
सरकार के आदेशों के मुताबिक कैथल जिले के सीवन, गुहला ब्लॉक, कुरुक्षेत्र जिले के पीपली, शाहबाद, बबैन, इस्माईलाबाद में किसान धान की खेती नहीं कर सकता. इन 7 ब्लॉक्स समेत पूरे प्रदेश के 19 ब्लॉक्स में किसान की धान की खेती पर रोक लगाई गई है. कुरुक्षेत्र की कुल 1,08,314 हेक्टेयर जमीन यानी 2,67,644 एकड़ जमीन है. कैथल की 51,937 हेक्टेयर यानी 1,28,336 एकड़ जमीन है. कुरुक्षेत्र की 56,377 हेक्टेयर यानी 1,39,308 एकड़ जमीन है जिसपर किसान धान की खेती नहीं कर पाएंगे. अगर किसान ने उपरोक्त जमीन के 50 प्रतिशत हिस्से से ज्यादा पर धान लगाए तो वो सरकार की सब तरह की सब्सिडी से वंचित रहेगा. उसका धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाएगा.
रणदीप सुरजेवाला ने उठाए सवाल
सुरजेवाला ने बताया कि सबसे ताजा तुगलकी फरमान ये है कि 50BHP की मोटर वाले ट्यूबवैलों का कनेक्शन काटा जाएगा. लाखों नए ट्यूबवैल का कनेक्शन तो दे नहीं रहे, उल्टा किसान के मौजूदा ट्यूबवैल कनेक्शन को काटने की तैयारी कर ली है. सुरजेवाला ने कहा कि
पिछले साल भी खट्टर सरकार ने धान की फसल की जगह मक्का पैदा करने के लिए ‘जल ही जीवन’ स्कीम 7 ब्लॉक में शुरू की थी. इन 7 ब्लॉक्स में भी कैथल का पुंडरी ब्लॉक व कुरुक्षेत्र का थानेसर ब्लॉक शामिल किया गया था. इन इलाकों में धान की जगह मक्का की खेती करने के लिए 2000 रुपये प्रति एकड़ कैश, 766 रुपये प्रति एकड़ बीमा प्रीमियम और हाईब्रिड सीड देने का वादा किया था. साथ ही 50,000 हेक्टेयर यानी 1,37,000 एकड़ में धान की बजाए मक्का की खेती होनी थी. परंतु ना तो किसान को प्रति एकड़ मुआवज़ा मिला, ना बीमा हुआ, हाईब्रिड सीड फेल हो गया और पूरी स्कीम केवल एक कागजी पुलिंदा बनकर रह गई.
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