कैथल: देश में हरित क्रांति आने के बाद पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश ये वो राज्ये थे, जिन्होंने सबसे पहले कृषि के आधुनिक तरीकों का प्रयोग किया था. आधुनिकता के चक्कर में किसानों ने पारंपरिक खेती को अलविदा तो कह दिया, लेकिन इसके दुष्परिणाम आज भी देखे जा सकते हैं.
रसायन का इस्तेमाल है जानलेवा
रसायनों के ज्यादा इस्तेमाल से ना सिर्फ मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो रही है बल्कि भूमिगत जल स्तर भी कम हो रहा है. इसके अलावा ये रसायन कई तरह की बीमारियों को भी जन्म दे रहे हैं. यही वजह है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अब किसानों को दोबारा से पारंपरिक खेती या फिर जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं.
कैथल के किसान दे रहे जैविक खेती को नए आयाम
खतरनाक रसायनों को कम करने के लिए जैविक खेती पर जोर दिया जाने लगा है, लेकिन ऐसे कई पहलू हैं जिन पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है. जैसे किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए एक मिशन बनाकर हर खेत को जहर मुक्त करना होगा. ये सिर्फ सरकारी स्तर पर संभव नहीं बल्कि इसके लिए देश के प्रगतिशील किसानों को भी आगे आना होगा. जैसे कि हरियाणा के कैथल जिले के रसीना गांव में रहने वाले महेंद्र ने अभियान चलाया है. जिन्होंने मात्र 10 वीं पास होने के बावजूद भी जैविक खेती को नए आयाम दिए हैं. वो लगभग 15 सालों से जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.