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हरियाणा के इस गांव में 160 साल से नहीं मनाई गई होली, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

गुहला चीका के दुसेरपुर गांव में 160 साल से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है. इस श्राप को लेकर ग्रामीणों में कई प्रकार कथाएं प्रचलित हैं. पूरी कहानी नीचे पढ़ें...

Holi festival is not celebrated in Dusserpur village
Holi festival is not celebrated in Dusserpur village

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Published : Mar 9, 2020, 8:56 PM IST

कैथल: गुहला चीका के दुसेरपुर गांव में 160 साल से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है. ग्रामीणों के मुताबिक स्नेही राम नाम के एक बाबा के श्राप की वजह से इस गांव में होली का त्योहार नहीं मनाया जाता. इसे लेकर ग्राम पंचायत की तरफ से गांव में बाकायदा एक सूचना पट लगाया गया है. जिस पर होली ना मनाए जाने के संबंध में लिखा गया है.

होली ना मनाने के पीछे ग्रामीणों का कहना है कि

पहले गांव में स्नेही राम नाम के छोटे कद का बाबा रहते थे. होली के दिन कुछ शरारती तत्वों ने बाबा के छेटे कद का मजाक उड़ाया था. जिसके बाद बाबा क्रोधित होकर होली दहन में कूद गए और श्राप दिया कि अगर आज के बाद इस गांव में कोई भी होली मनाएगा उसका तो उसके परिवार का नाश हो जाएगा.

हरियाणा के इस गांव में 160 साल से नहीं मनाई गई होली, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

इसके बाद ग्रामीणों ने बाबा से क्षमा मांगी और उनपर कृपा करने की अपील की. जिसके बाद बाबा ने कहा कि होली के दिन जब कोई गर्भवति महिला लड़के को जन्म देगी और उसी दिन गाय बछड़े को जन्म देगी तभी ये गांव श्राप से मुक्त हो पाएगा.

श्राप से मुक्ति पाने की बाट जोह रहे ग्रामीण

बाबा ने साथ में चेतावनी भी दी कि यदि किसी ने उसके श्राप की अनदेखी की तो उसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे. उन्होंने बताया कि ग्रामीण बाबा के दिए गए श्राप से मुक्ति पाने के लिए बाट जोह रहे हैं.

160 साल से होली नहीं मना पाए हैं ग्रामीण

ग्रामीणों के मुताबिक एक बार ऐसा हुआ भी था कि गाय को बछड़ा और गांव की बहू को बेटा हुआ था, लेकिन गाय का बढ़ड़ा ज्यादा दिन जीवित नहीं रह सका. जिसके बाद ग्रामीणों ने माना कि अभी वो इस श्राप से मुक्त नहीं हुए हैं.

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गांव दुसरेपुर में बनी बाबा स्नेही राम की समाधि

गांव दुसरेपुर में ही बाबा स्नेही राम की समाधि बनी हुई है. गांव का कोई भी आदमी जब कोई शुभ काम करता है तो वो पहले बाबा स्नेही राम की समाधि पर जाकर शांति की प्रार्थना करता है. ग्रामीण आज भी मिठ्ठी रोटी बनाकर बाबा स्नेही राम की समाधि पर पूजा करते हैं. वहीं कुछ लोग बाबा की याद में केवल एक दीपक जलाते हैं.

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