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पराली नहीं जलाने के मामले में कैथल प्रदेश में नंबर 1, जीरो बर्निंग प्रबंधन में ऐसे मिली कामयाबी! - पराली प्रबंधन

Haryana Stubble Burning: पराली नहीं जलाने पर कैथल जिले ने प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है. कैथल में पराली नहीं जलाने की घटनाओं में 60 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 11, 2024, 2:18 PM IST

कैथल: इस वर्ष कैथल जिले ने पराली न जलाने की घटनाओं में 60 फीसदी की कमी लाकर प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी पी राघवेंद्र राव ने इसके लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ क्षेत्र के किसानों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन में यह बड़ी उपलब्धि है.

पराली प्रबंधन में ऐसे मिल रही सफलता: लघु सचिवालय में जिला प्रशासन की आगुवाई में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन ने पराली प्रबंधन के मामले में सहयोग और अच्छा कार्य करने वाली विभिन्न ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया. इस दौरान सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी पी राघवेंद्र राव ने कहा कि पराली प्रबंधन मामले में इस सफलता के लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ क्षेत्र के किसान बधाई के पात्र हैं. उन्होंने कहा कि पराली न जलाने के जीरो बर्निंग लक्ष्य को सभी के साझा प्रयासों से प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन जहां किसानों की आमदनी का बेहतर जरिया है, वहीं, वातावरण व स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है.

रेड से येलो और ग्रीन जोन में आने पर प्रोत्साहन राशि: इस मौके पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि पराली प्रबंधन की दिशा में जिला ने अच्छा कार्य किया है. इतना ही नहीं प्रदेश स्तर पर भी जो पराली प्रबंधन किया गया, उसकी सराहना सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ केंद्र सरकार ने भी की है. उन्होंने कहा कि साल 2021 से लगातार प्रदेश में पराली प्रबंधन की दिशा में अच्छा कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से जो ग्राम पंचायतें रेड से येलो और ग्रीन जोन में आती है, उन्हें प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है.

पराली प्रबंधन के लिए विशेष कार्यक्रम: वहीं, डीसी प्रशांत पंवार ने कहा कि जिला में पराली प्रबंधन और किसानों को जागरूक करने के लिए आए दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. पूरे जिला को आठ क्लस्टरों में विभाजित करके उच्चाधिकारियों के साथ-साथ टीमें गठित की गई थी, जो लगातार क्षेत्र में जाकर पराली प्रबंधन की दिशा में कार्य कर रही थी साथ ही किसानों को भी जागरूक कर रही थी.

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