कैथल: अगर आप भी बिना विक्रेता के बारे में जानकारी हासिल किए फोन खरीद लेते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि हरियाणा के कैथल जिले में फर्जी नाम, फर्जी पता और फर्जी जीएसटी नंबर के लोगों को फोन बेचने वाले एक बड़े रैकेट (haryana fake mobile selling gang) का खुलासा हुआ है. जो ई-कॉमर्स साइट से सस्ते दामों (होलसेल) पर फोन खरीदकर लोगों को बेच रहे थे.
पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो दिल्ली के गफ्फार मार्केट सहित देश के कई हिस्सों में ये मोबाइल फर्जी बिल देकर बेच रहे थे. साथ ही उनके कब्जे से 72 लाख रुपये के 872 मोबाइल और लगभग 15 लाख रुपये की नकदी बरामद की है.
अब सवाल ये उठता है कि फर्जी फोन विक्रेता के होने का ग्राहक पर क्या असर पड़ता है? क्योंकि ग्राहक को तो फोन मिल रहा है चाहे फोन को बेचने वाला विक्रेता फर्जी ही क्यों ना हो. लेकिन ऐसा सोचना भी आपको नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि फोन विक्रेता का फर्जी होना कई मायनों में ग्राहक के लिए खतरनाक और नुकसान पहुंचाने वाला है. कैसे चलिए आपको बताते हैं.
करोड़ों की जीएसटी चोरी
ये फर्जी फोन विक्रेता करोड़ों की जीएसटी चोरी कर रहे थे. वो ऐसे क्योंकि इन्होंने ई-कॉमर्स कंपनियों से फोन खरीदने के लिए कई फर्जी कंपनियां बनाई थी. ऐसी कंपनियां जिनका नाम, पता और यहां तक की जीएसटी नंबर भी फर्जी था. आरोपी ई-कॉमर्स कंपनियों से बड़ी संख्या में होलसेल रेट पर फोन खरीदा करते थे और फिर ये लोगों को एमआरपी रेट पर फोन बेचा करते थे. फोन बेचने के लिए आरोपी नकली बिल ग्राहकों को थमा रहे थे और इस तरह से सरकार की नजरों में ना आकर करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी कर रहे थे.
सुरक्षा पर खतरा
एक ओर जहां जीएसटी नहीं देकर ये आरोपी सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे थे तो वहीं अगर इन मोबाइलों का प्रयोग किसी अपराधिक गतिविधियों में होता तो अपराधी को ढूंढने में भी पुलिस को भी काफी दिक्कत रहती. वो ऐसे क्योंकि हर फोन का अपना आईएमईआई नंबर होता है, जिसके जरिए पुलिस फोन के मालिक तक पहुंची है. अब जब ये सभी फोन फर्जी तरीके से बेचे गए थे तो जाहिर तौर पर उनका रिकॉर्ड फोन कंपनियों के पास नहीं होता.
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