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गुहला चीकाः किसानों के लिए आफत बनी बेमौसमी बारिश - किसानों के लिए आफत कैथल

तेज हवाओं के साथ हुआ बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल जमीन पर बिछ गई है. वहीं खेतों में डेढ़ से दो फुट तक पानी भर गया है. जिसके चलते किसानों की फसल का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गया है.

Guhila Cheeka
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Published : Mar 16, 2020, 2:36 AM IST

कैथलःजिले के गुहला चीका और आसपास के क्षेत्र में बीते कुछ दिनों से तेज हवा के साथ हुई बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं और टमाटर की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. तेज हवा के कारण कई गांवों में गेहूं की फसल जमीन पर बिछ गई और टमाटर के फूल झड़ गए हैं.

फसल की पैदावार पर पड़ेगा असर

फसल के जमीन पर बिछाने से गेहूं की पैदावार पर काफी असर पड़ेगा. किसानों का कहना है कि इस बार अधिक दिनों तक सर्दी पड़ने से अनुमान लगाया जा रहा था कि गेहूं की पैदावार पर भरपूर मात्रा में निकलेगी, परंतु बेमौसम बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. नीचे गिरी गेहूं की बालियों में दाना खराब हो जाता है, किसानों ने बताया कि मार्च में होने वाली बारिश किसानों के लिए फायदा देने के बजाय बर्बादी का कारण बनती है.

गुहला चीकाः किसानों के लिए आफत बनी बेमौसमी बारिश

खेतों में इंजन लगाकर पानी निकाल रहे किसान

गुहला में जंगल के पास लगते खेतों की जमीन निचले स्तर की है. जिसके चलते जंगल का पानी खेतों में घुस रहा है. अब पानी नहीं निकलने पर गेहूं की फसल पीली पड़ जाएगी, जिसका पैदावार पर सीधा सीधा असर पड़ेगा. इसी के चलते किसान अपनी फसलों में से पानी निकालने के लिए 3000 रुपये किराए पर पानी निकालने के इंजन का प्रबंध कर रहा है और उसके साथ मजदूरों को भी पानी निकालने के लिए मजदूरी दे रहा है ताकि फसलों में से पानी को जल्द से जल्द बाहर निकाला जाए.

वहीं सब्जी और सरसों की फसल तो बिल्कुल नष्ट होने के कगार पर है. मौसम विभाग ने अगले 2 दिनों तक मौसम खराब होने की चेतावनी दी है. ऐसे में बारिश ऐसे ही जारी रहती है तो किसान बर्बाद हो जाएगा.

कृषि विभाग ने किसानों को दी सलाह

कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिले में 172000 हेक्टेयर रकबा गेहूं का है और बेमौसमी बारिश ने पूरे जिले में लगभग 60 से 65% फसल का नुकसान है. जहां ओलावृष्टि हुई है वहां 80% तक का नुकसान हुआ है. किसानों को चाहिए कि अपनी फसल अपना ब्योरा के तहत फसलों का ब्यौरा सरकार के पास जरूर दर्ज करवाएं, जिन किसानों ने फसल बीमा करवाया है. उन्हें 90 घंटे के अंदर अपने नुकसान का ब्योरा जरूर देना चाहिए.

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