कैथल: नगरपालिका चीका की कृषि योग्य भूमि की सरकारी बोली का किसानों द्वारा पूर्ण रूप से बहिष्कार कर दिया गया. नगरपालिका द्वारा अपनी कृषि योग्य करीब 500 एकड़ भूमि को हर वर्ष खुली बोली के माध्यम से किसानों को एक साल के लिए पट्टे पर दिया जाता है.
इससे उसे लाखों की आमदनी होती है. लेकिन इस बार किसानों द्वारा बोली ना दिए जाने के चलते खजाना पूरी तरह खाली रहा. इसका मुख्य कारण गुहला और सीवन को डार्क जोन घोषित करना बताया जा रहा है. इसकी नाराजगी का पहला रुझान बोली न देने के रूप में सामने आया है.
इस दौरान किसानों ने कहा कि सरकार द्वारा गिरते जलस्तर को ऊपर उठाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों का वे स्वागत करते हैं. इसके विपरित गुहला को डार्क जोन में डालकर धान की खेती पर लगाए जाने वाले आदेश का वे विरोध करते हैं.
उन्होंने कहां कि हर साल बोली का रेट बढ़ा दिया जाता है. पिछले साल ये साढ़े 17 हजार था फिर 18000 किया गया और अबकी बार 24500 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से ठेके का रेट रखा गया. जो कि किसानों के साथ अन्याय है. उन्होंने कहा कि यदि नगर पालिका ठेके का रेट 10 और 12 हजार रखती है तो वे जमीन लेने के लिए तैयार हैं.
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बता दें कि हरियाणा सरकार द्वारा डार्क जोन क्षेत्रों की लिस्ट में गुहला और सीवन ब्लॉक को भी शामिल किया गया है. जिसको लेकर गुहला और कई जगहों पर किसानों के प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं.
किसानों का कहना है कि गुहला क्षेत्र को घग्गर नदी और सरस्वती नदी विभाजित करती है. जो कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र हैं. जिसके चलते इस क्षेत्र में धान की फसल के अलावा कोई दूसरी फसल नहीं उगाई जा सकती है. जिसके चले किसानों में नाराजगी देखने को मिल रही है. नाराजगी का पहला रुझान बोली न देने के रूप में देखने को मिला है.