कैथल:हरियाणा सरकार की नीतियों के विरोध में सर्व कर्मचारी संघ के बैनर तले सभी विभागों के कर्मचारियों व अध्यापकों ने जवाहर पार्क में प्रदर्शन किया. इसके बाद रोष मार्च निकालते हुए प्रदर्शनकारी मिनी सचिवालय पहुंचे. यहां उन्होंने पीएम और सीएम के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा.
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार ने फेडरेशन और संघ के आग्रह को ठुकरा कर मनमर्जी से एकतरफा फैसले कर श्रम कानूनों को पूंजीपतियों के हकों में समाप्त करने का काम किया है. बिजली व प्रतिरक्षा जैसे अति आवश्यक विभागों सहित सभी पीएसयू (PSUs) को निजीकरण के लिए खोल दिया है.
सरकार की नीतियों के खिलाफ कर्मचारियों को फूटा गुस्सा, निकाला रोष मार्च 'कोविड वॉरियर्स को पीपीई किट उपलब्ध करवाई जाए'
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी हों या अन्य आवश्यक सेवाओं सहित अन्य विभागों के कर्मचारी, सभी जनता की सेवा में दिन-रात काम कर रहे हैं. बार-बार अपील करने के बावजूद भी स्वास्थ्य, पुलिस व सफाई कर्मियों को पीपीई किट तक उपलब्ध नहीं करवाई गई है.
उन्होंने मांग की है कि स्वास्थ्य विभाग सहित कोविड-19 में काम कर रहे सभी विभागों के नियमित व अनियमित कर्मचारियों को कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपकरण दिए जाएं और सभी को एक समान 50 लाख एक्सग्रेसिया बीमा योजना में शामिल किया जाए.
कर्मचारी नेताओं की अन्य मांगें
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य सचिव मास्टर सतबीर गोयत ने बताया कि 2006 से सेवा में आए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नीति में शामिल किया जाए. शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं का राष्ट्रीयकरण किया जाए. बिजली, परिवहन सहित सार्वजनिक क्षेत्र के निजिकरण पर रोक लगाई जाए. चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को अप्रैल महीने में गेहूं खरीदने के लिए मिलने वाले ब्याज मुक्त ऋण का पत्र अविलंब जारी किया जाए.
'यूपपीए (UAPA) जैसे काले कानून को समाप्त किया जाए'
उन्होंने कहा कि साल 2015 में 1035 टीजीटी (अंग्रेजी) सहित 1538 विज्ञापित पदों के जल्द परिणाम घोषित कर उन्हें ज्वाइन करवाया जाए. नई भर्ती पर लगाई गई रोक हटाकर सभी रिक्त पदों को नियमित भर्ती से भरा जाए. लोकतांत्रिक गतिविधियों को रोकने के लिए बनाए गए यूएपीए जैसे काले कानून को समाप्त किया जाए और इसके तहत झूठे मुकदमों में गिरफ्तार किए गए सोशल एक्टिविस्ट को बिना शर्त रिहा किया जाए.