कैथल: भले ही देश में अनलॉक का चौथा चरण शुरू हो गया हो. लेकिन लॉकडाउन की वजह से अभी तक कई सेक्टर उभर नहीं पाए हैं. ज्यादातर उद्योग घाटे में चल रहे हैं. मधुमक्खी पालन का व्यवसाय भी इससे अछूता नहीं है. इस व्यवसाय पर भी कोरोना की मार देखने को मिल रही है. बात करें कैथल की तो कैथल जिला मधुमक्खी पालन में काफी अग्रणी है. अकेले कैथल जिले में लगभग 4000 किसान मधुमक्खी पालन करते हैं. ये सभी किसान जिला बागवानी विभाग से पंजीकृत हैं. वहीं कुछ ऐसे भी किसान हैं जो बिना पंजीकरण के भी व्यवसाय में जुड़े हुए हैं. किसानों का कहना है कि इस बार मधुमक्खी पालन को लॉकडाउन की वजह से काफी नुकसान हुआ है.
लॉकडाउन से पहले मधुमक्खी पालकों के हालात
लॉकडाउन से पहले मधुमक्खी पालक एक डिब्बे से करीब 30 से 40 किलोग्राम शहद एक साल में प्राप्त करते थे. जिसे (प्रोसेसिंग ) यानी मशीन के द्वारा साफ करवाने के बाद लगभग 80-250 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है. जिसे सरसों, सपेदा, पहाड़ी की कटाली, और दूसरी जड़ी बूटियों से प्राप्त शहद शामिल हैं. मधुमक्खी पालक एक डिब्बे से एक साल में 10 हजार तक का शहद प्राप्त करते थे. जिसपर 4 हजार का खर्च आने के बाद उन्हें एक डिब्बे पर 6000 रुपये का मुनाफा होता था. मौजूदा समय में 50 मधुमक्खियों के डिब्बे वाले किसान को निम्न स्तर में शामिल किया गया है. लेकिन वो एक साल में 50 डिब्बों से लगभग 5 लाख रुपये तक कमा लेता था. शहद के साथ-साथ किसानों को मधुमक्खियों के डिब्बे से मोम भी प्राप्त होता है. जो अलग-अलग भाव से बिकता है.
लॉकडाउन के बाद मधुमक्खी पालकों के हालात
लॉकडाउन के बाद मधुमक्खी पालकों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है. मौसम और फसल के हिसाब से मधुमक्खियों के डब्बों की इमीग्रेशन की जाती है. उन्हें एक राज्य से दूसरे राज्य तक ले जाया जाता है. ताकि मधुमक्खियों को मौसम और फसल के हिसाब से खाना मिल सके और वो ज्यादा शहद तैयार कर सकें. लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार मधुमक्खी पालक मधुमक्खियों के डब्बों को एक राज्य से दूसरे राज्य नहीं ले जा सके. जिसके कारण मधुमक्खियों को पर्याप्त खाना नहीं मिल सका और कुछ मधुमक्खी कमजोर हो गई तो कुछ की मौत हो गई. जिसके कारण मधुमक्खियां ज्यादा शहद तैयार नहीं कर सकी और मधुमक्खी पालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
रानी मक्खी पर भी दिखा लॉकडाउन का असर
बता दें कि एक डब्बे में एक रानी मक्खी होती है जो सीजन के दिनों में 1 दिन में करीब 2000 तक अंडे देती है. जिसके कारण हर साल मधुमक्खियों की संख्या में इजाफा होता रहता है. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते किसान मधुमक्खियों के डिब्बों को एक राज्य से दूसरे राज्य तक नहीं ले जा सके और मधुमक्खियों को मौसम के हिसाब से खाना नहीं मिल सका.जिसके चलते एक रानी मक्खी ने 1 दिन में केवल 250 से 300 तक ही अंडे दिए. जिसके कारण किसानों की मधुमक्खियों की संख्या काफी कम हो गई.