कैथल: आशा वर्कर पिछले 19 दिनों से हड़ताल पर बैठी हुई हैं और सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रही हैं. आशा वर्कर का कहना है कि सरकार के कई मंत्रियों से मिलने का प्रयास किया है, लेकिन कोई भी मिलने का समय नहीं दे रहा. बीते 21 अगस्त को भी गृह मंत्री अनिल विज के आवास पर गए थे, लेकिन उन्होंने भी हमें मिलने का समय नहीं दिया था.
आशा वर्कर यूनियन की प्रदेश सचिव सरबजीत कौर ने कहा कि हम इतने दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं ताकि सरकार हमारी मांगों की तरफ ध्यान दें, लेकिन सरकार हमसे मिलने का समय नहीं दे रही. इसलिए कल 26 अगस्त को विधानसभा का घेराव किया जाएगा और ये प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक प्रदेश के मुख्यमंत्री आशा वर्कर से मिलने का समय नहीं देते और बात का हल नहीं करते.
सरकार की अनदेखी से नाराज आशा वर्कर्स करेंगी हरियाणा विधानसभा का घेराव. सरबजीत कौर का कहना है कि 2018 में सरकार ने हमारी मांगें मानी थी, लेकिन पूर्णता से लागू नहीं किया. जिसके विरोध में हम प्रदर्शन कर रहे हैं और अब विधानसभा का घेराव करेंगे.
ये हैं आशा वर्कर्स की मुख्य मांगें-
- जो मासिक वेतन से आधे पैसे काटे गए हैं सरकार उनको आशाओं के खाते में डाले.
- जनता को गुणवत्ता स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने हेतु सरकारी स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत किया जाए और एनएचएम को स्थाई किया जाए.
- आठ एक्टिविटी का काटा गया 50% तुरंत वापस किया जाए.
- कोविड-19 में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर 4000 रु दिए जाएं.
- गंभीर रूप से बीमार एवं दुर्घटना के शिकार आशाओं को सरकार के द्वारा पैनल हॉस्पिटल में इलाज की सुविधा दी जाए.
- ईएसआई एवं पीएफ की सुविधा दी जाए.
- आशा वर्कर को हेल्थ वर्कर का दर्जा दिया जाए.
- 21 जुलाई 2018 को जारी किए गए नोटिफिकेशन के सभी बचे हुए निर्णय को लागू किया जाए.
- आशाओं को समुदायिक स्तरीय अस्थाई कर्मचारी बनाया जाए, वहीं जब तक पक्का कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तक हरियाणा सरकार का न्यूनतम वेतन दिया जाए.
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