कैथल: धान कटाई शुरू होते ही किसानों के सामने एक बड़ी समस्या पैदा हो जाती है और वो है फसल अवशेष प्रबंधन की. जिसके लिए किसान काफी पैसे खर्च करके अवशेष का प्रबंधन करते हैं. किसानों पर खर्च का बोझ घटाने के लिए कृषि विभाग इसपर लगातार काम कर रहा है और ऐसे नए-नए कृषि उपकरण निजात कर रहा है. जिससे किसान कम खर्च पर इस पर काबू पा सके. ऐसा ही एक कृषि यंत्र है सुपर सीडर.
सुपर सीडर से जो धान के बचे हुए अवशेष होते हैं. उसमें गेहूं की सीधी बिजाई की जाती है. ये कृषि यंत्र चार से पांच मशीनों के मिलाने से एक यंत्र बनाया गया है. जिसको सुपर सीडर कहा जाता है. ये लगभग दो से ढाई लाख रुपए की कीमत का है.
फसल अवशेष प्रबंधन में कारगर सुपर सीडर पर सरकार दे रही सब्सिडी जो कृषि विभाग की तरफ से अगर कोई अकेला किसान लेना चाहे उसको 50 फीसदी अनुदान पर दिया जाता है. अगर किसानों का ग्रुप लेना चाहे तो उसको 80 फीसदी अनुदान पर दिया जाता है. इससे फसल अवशेष प्रबंधन और गेहूं की बिजाई तो होती ही है, साथ ही किसान का गेहूं बिजाई और फसल अवशेष प्रबंधन का खर्च भी कम हो जाता है.
साथ ही जो अलग से मजदूर गेहूं के बीज और खाद डालने के लिए बुलाए जाते हैं और अतिरिक्त खर्च दिया जाता है. उसका बचत इसमें होती है. ऐसा करने से किसान का लगभग 5 से 8 हजार रुपये की प्रति एकड़ बचत होती है.
कृषि अधिकारी डॉ. सज्जन कुमार ने कहा कि ये एक अच्छा यंत्र है. जो किसानों के लिए काफी फायदेमंद है और आने वाले समय में इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी. ताकि और किसान भी इसका फायदा उठा सकें. अगर किसान इस मशीन के सही फायदे जानेगा तो ना ही वो अपने फसल अवशेष में आग लगाएगा और ना ही दूसरे तरीके से बिजाई करेगा. क्योंकि इसमें किसान को प्रति एकड़ लगभग आठ हजार का फायदा होता है और इसकी पैदावार भी दूसरे तरीके की बिजाई के बराबर होती है. वहीं इसके द्वारा जो बीज खेत में डाला जाता है. वो लाइनों में डाला जाता है. जिससे फसल गिरती नहीं है और पैदावार अच्छी होती है.
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