जींद: मानसून सिर पर है, लेकिन सिंचाई विभाग अभी तक सोया हुआ है. बरसात के दिनों में बाढ़ प्रबंधन के लिए सिंचाई विभाग की ओर से ना तो नहरों की सफाई की गई है और ना ही पानी निकासी के लिए कोई उचित प्रबंध किए गए हैं. जिसकी वजह से किसानों की चिंता बढ़ गई है. हर साल किसानों की हजारों एकड़ फसल बारिश के पानी से बर्बाद हो जाती है.
30 गांवों पर डूबने का खतरा
जींद जिले के पिल्लूखेड़ा और जुलाना क्षेत्र के करीब 30 गांव का जमीनी स्तर नीचा हैं. जहां पर बारिश के दिनों में पानी भर जाता है. बारिश के पानी को निकालने के लिए कालवा गांव से लेकर किनाना तक 28 किलोमीटर लंबी ड्रेन बनाई गई है. खेतों से पानी निकालकर ड्रेन में डालने के लिए चार बड़े पंप हाउस बनाए गए हैं, लेकिन सिंचाई विभाग की ओर से ड्रेन की सफाई को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है. ऐसे में अगर भारी बारिश होती है तो यहां बाढ़ जैसी स्थिति बन जाएगी और प्रशासन के इंतजाम धरे के धरे रह जाएंगे, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ेगा.
जब इस बारे में ड्रेन के आसपास के गांवों के किसानों से बात की गई तो किसानों ने बताया कि ड्रेन की सफाई सिर्फ कागजों में की गई है. यहां पर अभी ड्रेन में गंदगी और पेड़ खड़े हैं. हाल ही में आई आंधी की वजह से भी काफी संख्या में पेड़ टूट कर भी ड्रेन में गिर गए हैं. जिसकी वजह से पूरी ड्रेन ब्लॉक है. अगर ऐसे में बारिश आती है तो ड्रेन पानी पास नहीं कर पाएगी. जिसकी वजह से आस-पास के किसानों को भारी नुकसान होगा. आसपास के खेतों में पानी कट जाने से पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी.