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मानवता की भलाई के लिए नागरिकता संशोधन कानून- सांसद डीपी वत्स - jind news

राज्यसभा सांसद डीपी वत्स ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को मानवता की भलाई के लिए बताया. उन्होंने कहा कि ये कानून किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है.

Rajya Sabha MP DP vats supported CAA
सांसद डीपी वत्स

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Published : Jan 10, 2020, 7:42 AM IST

जींद: पूरे देश में नागरिकता बिल का विरोध लगातार जारी है. इस बिल के समर्थन में बीजेपी ने जागरुकता अभियान चलाया है. इस बीच जींद में नागरिकता संशोधन अधिनियम को एक सेमिनार में डीपी वत्स ने संबोधित किया. इससे पहले वत्स ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि नागरिकता संशोधन कानून मानवता की भलाई के लिए है.

राज्यसभा सांसद डीपी वत्स ने सीएए को बताया सही

उन्होंने कहा कि ये कानून किसी की नागरिकता छीनने के लिए, बल्कि देश में आए प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए है. विपक्षी दल अपनी राजनीति रोटियां सेंकने लिए जनता में भ्रामक प्रचार कर रही है, जो कि उचित नहीं है. आम जनता इनकी बातों को समझ चुकी है और इनके बहकावे में आने वाली नहीं है.

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कानून को बताया मानवता की भलाई के लिए

राज्यसभा सांसद ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश में पीड़ित अल्पसंख्याकों भारत में शरण मिलेगी. यह कानून राजनीतिक लाभ लेने के लिए नहीं, बल्कि मानवता की भलाई के लिए बनाया गया है. आज विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. देश के पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने प्रताड़ित को नागरिकता दी है, ना कि किसी की नागरिकता छिन्नी है.

गैर बीजेपी शासित राज्यों ने मना किया है कानून को लागू करने से

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन ने इस कानून को पंजाब में लागू नहीं करने के बारे में कहा था. इस पर उन्होंने कहा कि यह केंद्र का मामला है. इसमें भारत की नागरिकता का सवाल है न कि किसी राज्य की नागरिकता का. आपको बता दें कि जब से केंद्र सरकार ने नारिकता कानून को पास किया है तब से इस कानून का विरोध जारी है.

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वापस लेने के मन में नहीं है केंद्र सरकार

वहीं केंद्र सरकार ने इस कानून को हर हाल में वापस लेने से मना कर दिया है. इसके लिए बीजेपी ने इस कानून को लेकर जागरुकता अभियान चलाया है जिसमें इस कानून को लेकर लोगों को जागरुक किया जा रहा है. आपको बता दें कि गैर बीजेपी शासित सरकार जैसे पश्चिम बंगाल, केरल, छत्तीसगढ़ और पंजाब ने इस कानून को लागू करने से मना कर दिया था.

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