जींद: कई दशकों से दुनिया में मुर्गी पालन का व्यवसाय चला आ रहा है लेकिन इस व्यापार की सबसे बड़ी समस्या मुर्गों की बीट के निस्तारण की है. जिसकी वजह से आसपास के इलाकों में बीमारियां फैलने का डर तो बना ही रहता है, साथ ही पोल्ट्री फार्म के पास रहने वाले लोगों को भी इससे काफी परेशानियां भी होती हैं. लेकिन अब इसका भी हल निकाल लिया गया है.
दरअसल जींद जिले में एक पोल्ट्री फार्म मालिक राजू मोर ने उसी बीट से लाखों रुपए कमाई करने का जरिया ढूंढ निकाला है. राजू मोर ने मुर्गें की बीट से बिजली के साथ जैविक खाद तैयार की है. फिलहाल 150 टन मुर्गे की बीट से 12 हजार यूनिट बिजली तैयार की जा रही है.
जींद में बना पोल्ट्री वेस्ट बायोगैस प्लांट, 150 टन मुर्गे की बीट से बनती है 12 हजार यूनिट बिजली पोल्ट्री वेस्ट से तैयार की जा रही है बिजली और जैविक खाद
जींद जिले में पिल्लूखेड़ा के गांव गांगोली के पास 14 करोड़ रुपए की लागत से ये पोल्ट्री वेस्ट बायो गैस प्लांट लगाया गया है. इस प्लांट में बिजली और जैविक खाद बनाने के लिए रोजाना 10 लाख मुर्गियों से निकली करीब 150 टन बीट से हजारों यूनिट बिजली तैयार कर निगम को दी जा रही है.
किसानों को फायदा पहुंचाना है मुख्य उद्देश्य
पोल्ट्री फार्म मालिक राजू मोर का कहना है कि पोल्ट्री वेस्ट बायो गैस प्लांट लगाने का मकसद किसानों को फायदा पहुंचाना है. उन्होंने कहा कि इस प्लांट से बिजली पैदा करना अतिरिक्त बोनस की तरह है लेकिन हमारा मुख्य उद्देश्य किसानों को खेती करने में फायदा पहुंचाने और पर्यावरण को शुद्ध करने का है.
राजू मोर ने बताया कि 2010 में उन्होंने एक अखबार में पोल्ट्री वेस्ट से संबंधित एक लेख पढ़ा था. इस लेख में कहा गया था कि पोल्ट्री वेस्ट से बायो गैस भी बनाई जा सकती है और उससे निकलने वाले फर्टिलाइजर से पूरे देश की पूर्ति की जा सकती है. उसके बाद उन्होंने इस प्लांट को लेकर काम शुरू किया जो अब जाकर पूरा हुआ.
बिजली, खाद और सीएनजी उत्पाद करने में होगी आसानी
हरियाणा में करीब 3 करोड़ मुर्गों की संख्या है. रोजाना करीब एक मुर्गे से 150 ग्राम वेस्ट निकलता है यानी 4,500 टन के करीब वेस्ट हर रोज निकलता है. प्रदेश के में 3 करोड़ मुर्गों का 4500 टन वेस्ट अगर प्लांट में ट्रीट किया जाए तो उससे 24 घंटे बिजली मिल सकती हैं और इससे 7 लाख 50 हजार किलो सीएनजी या 56 लाख बिजली यूनिट उत्पादन की जा सकती है.
मुर्गें की बीट से बायो गैस बनने के बाद बचा हुआ मटेरियल जैविक खाद के रूप में बाहर आता है. लैब में करवाए टेस्ट के अनुसार इस खाद में ये सब पोषक तत्व जैसे आर्गेनिक कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, पोटॉश उपलब्ध है. इसके साथ ही इसमें हेवी मेटल जैसे आर्सेनिक, कैडीमियम, कोरोमियम, कॉपर, मर्करी, निकिल, जिंक उपलब्ध है.
राजू मोर का कहना है कि भारत में पोल्ट्री इंडस्ट्री में बहुत बड़े बदलाव की जरूरत है ताकि भविष्य में किसानों को फायदा पहुंच सके और पर्यावरण भी शुद्ध हो सके. वहीं वैज्ञानिकों के अनुसार जो कंटेंट पोल्ट्री वेस्ट की जैविक खाद में मिले हैं, वो फसलों के लिए बहुत बढ़िया पोषक तत्व है. इससे न केवल फसलों की पैदावार ज्यादा होगी, बल्कि उत्पादन पर भी इसका अच्छा खासा असर होगा.
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