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जींद में बंद होने की कगार पर कॉटन उद्योग, कारण जानकर रह जाएंगे हैरान - कपास उद्योग जींद

कोरोना और चीन से खराब रिश्तों ने जींद में धागा बनाने वाली मिलों की कमर तोड़कर रख दी है. कई कॉटन मिलें तो ऐसी हैं, जो बंद होने की कगार पर आ गई हैं. एक समय था, जब इन मिलों में हर रोज कई सौ किलो कॉटन की खपत होती थी, लेकिन अब मार्केट में डिमांड ना होने की वजह से काम काज ठंडे पड़े हैं.

jind's cotton industry in critical condition due to corona and china india dispute
जींद कॉटन उद्योग

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Published : Jun 26, 2020, 11:08 PM IST

Updated : Jun 30, 2020, 4:02 PM IST

जींद: कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया की अर्थ व्यवस्था चरमरा गई है. लेबर की कमी और मार्केट में उत्पाद की डिमांड कम होने से छोटे-मोटे उद्योगों पर गहरा प्रभाव पड़ा है. ऊपर से भारत और चीन के बिगड़ते रिश्तों के चलते कई उद्योगों पर बंद होने का खतरा मंडराने लगा है. जिनमें जींद के कॉटन उद्योग भी शामिल हैं. उद्योगों का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम जींद पहुंची.

कॉटन की घटी डिमांड ने तोड़ी किसान की कमर

जींद में जाने पर पता चला कि यहां पर कॉटन का बड़ा काम होता है. जींद में कॉटन की मिल तो हैं ही, यहां पर कॉटन की खेती भी बड़ी तादाद में होती है, लेकिन मिलों में कॉटन की डिमांड घटने से किसान परेशान हैं. किसानों औने-पोने दाम में कॉटन बेचने को मजबूर हैं. इस पर किसान नेता रामफल कंडेला का कहना है कि सरकार ने कपास के भाव 56 सौ रुपये तय कर दिए हैं, लेकिन उस रेट में खरीदने के लिए कोई तैयार नहीं है. अगर ऐसा रही रहा तो किसान क्या करेगा? कहां फसल बेचेगा? सरकार को इस पर कोई स्थाई समाधान सोचना चाहिए.

जींद में बंद होने की कगार पर कॉटन उद्योग, कारण जानकर रह जाएंगे हैरान

'सरकार देश में खपत के लिए तैयार करे विकल्प'

बाजार में कॉटन की डिमांड घटने से प्रोडक्शन में भी काफी कमी आई है. भारत से सबसे ज्यादा कॉटन की सप्लाई चीन, वियतनाम, बांग्लादेश और यूरोपीय देशों में होती है. फिलहाल मांग न होने के कारण मिल मालिक और किसान दोनों परेशान हैं. धागा मिलों ने धागे की डिमांड कम होने से अपना प्रोडक्शन कम कर दिया है. जिसका सीधा असर किसान पर पड़ रहा है. इस पर लोगों का कहना है कि अगर सरकार देश में ही खपत का कोई विकल्प तैयार करे तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

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बंद होने की कगार पर छोटे कॉटन उद्योग

जब ईटीवी भारत की टीम ने इस पर कॉटन उद्योगपति वेद प्रकाश से बात की तो उन्होंने बताया कि कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को मिल चलाने का जिम्मा सौंपा है, लेकिन सीसीआई सिर्फ बड़े मिलों को ही काम दे रही है. इससे छोटे-मोटे उद्योग क्या करेंगे? अगर सीसीआई ने छोटे उद्योगों को काम नहीं दिया तो बंद हो जाएगे. पहले से ही कोरोना की वजह से कॉटन उद्योग घाटे में जा रहा है. ऊपर से सरकार उनके लिए कोई काम नहीं कर रही है. बाजार में इस समय ना रूई बिक रही है और ना ही धागा बिक रहा है. ऐसे में उद्योग पति क्या करे?

Last Updated : Jun 30, 2020, 4:02 PM IST

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