जींद:गलवान घाटी को लेकर भारत चीन विवाद और देश के 20 सपूतों की शहादत के बाद भारत में चीन के खिलाफ गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है. पूरे देश में लोगों ने चीनी सामानों का बहिष्कार करने की चर्चा शुरू कर दी है. इस कड़ी में कारोबारी भी चीनी उत्पादों को नहीं बेचने की शपथ लेने लगे हैं.
हरियाणा में आम से लेकर खास तक चीनी सामान का बहिष्कार करने की बात कर रहा है. ग्राहक से लेकर दुकानदार तक चीन का बहिष्कार करने की बात कर रहा है. खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं का कारोबार करने वाले कारोबारी इन दिनों मेड इंडिया उत्पादों को अधिक प्रमोट कर रहे हैं.
ग्राहक भी कर रहे हैं मेड इन चाइना का बायकॉट
दिल्ली के सदर बाजार से पूरे हरियाणा और आसपास के क्षेत्र में चाइनीज माल की सप्लाई होती है. लंबे समय से बाजार बंद है, जिस वजह से बाजार में चाइनीज सामान पहले ही बहुत कम दिखाई दे रहा है. वहीं अब जो कसर बची थी, वो चाइना की तरफ से बॉर्डर पर तनाव के बाद लोगों ने भी चाइनीज सामान से किनारा करना शुरू कर दिया है. जिसका असर बाजार पर भी दिखने लगा है.
कोरोना वायरस के चलते चाइनीज उत्पादों के बहिष्कार का दौर होली पर भी शुरू हो गया था. सीजन में लोगों ने चीन में बने रंग और पिचकारियां नहीं खरीदी थीं. जिसके चलते दुकानदारों ने भी इनकी बिक्री से तौबा कर दी. इस बारे में खरीददारी करने आए संदीप ने बताया कि घर के लिए अब कोई भी मेड इन चाइना सामान नहीं खरीद रहे हैं. उनका कहना है कि वो दूसरे साथियों को भी कहेंगे कि चाइनीज समान नहीं खरीदेंगे.
वहीं जींद में व्यापार मंडल की कई ट्रेड यूनियनों ने यह फैसला लिया है कि अब बाजार में कोई भी चाइनीज सामान नहीं बेचेगा दुकानों और खरीदारों की जागरुकता के लिए व्यापार मंडल शहर में कैंडल मार्च भी निकालेगा.
नुकसान की फिक्र नहीं, देश पहले है- व्यापारी नेता
चाइनीज समान नहीं बेचने से उन्हें होने वाले नुकसान को लेकर व्यापारी नेता ने कहा कि नुकसान होता है तो होता रहे. पहले भी नुकसान होते रहे हैं अब लॉकडाउन में भी हुआ है, लेकिन हमारे लिए देश सबसे पहले है देश के लिए जो कुछ हो सकेगा हम करेंगे , जो लोग मार्किट में बेच रहे है उसने निवेदन करेंगे कि चीनी सामान ना बेचे उसकी जगह स्वदेशी का प्रयोग करें.
'चीनी सामान का विकल्प है, मगर मंहगा है'
ऐसा नहीं है कि बाजार में चाइनीज सामान नहीं बिकेगा, तो भारत के पास विकल्प नहीं है. ईटीवी भारत की टीम ने पाया कि दुकानों में अभी भी चीनी सामान का मेड इन इंडिया है. जो चीनी सामान से बेहतक क्वालिटी में है.