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जींद: रेलवे के कोच को आइसोलेशन वार्ड बनाने में की गई महज खानापूर्ति, सुविधाओं के नाम पर जीरो - आइसोलेशन वार्ड के नाम पर खानापूर्ति

ट्रेन की बोगियों में बने आइसोलेशन वार्ड में सुविधा के नाम पर सीट के साथ एक-एक कूड़ादान रख दिया गया है. इसके अलावा शौचालय को बाथरूम में बदल दिया गया है. लेकिन रेलवे ने मरीजों को गर्मी से बचाव के लिए कोई उपाय नहीं किए हैं.

jind railway isolation ward reality check ground report
jind railway isolation ward reality check ground report

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Published : Apr 17, 2020, 4:15 PM IST

Updated : Apr 17, 2020, 4:22 PM IST

जींद:कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रत्येक जंक्शन पर ट्रेनों में आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं. जींद जंक्शन पर एक ट्रेन की पांच बोगियों को आइसोलेशन कोच बना दिया गया है. लेकिन बनाए गए कोच में मरीजों के लिए कोई सुविधा नहीं है.

आइसोलेशन वार्ड के नाम पर खानापूर्ति

ट्रेन की बोगियों में बने आइसोलेशन वार्ड में सुविधा के नाम पर सीट के साथ एक एक कूड़ेदान रख दिया गया है. इसके अलावा शौचालय को बाथरूम में बदल दिया गया है. बाहर से ट्रेन की बोगियों में मच्छर ना आए, इसके लिए खिड़कियों पर मच्छरदानी लगाई गई है. बस इतने में ही रेलवे ने आइसोलेशन वार्ड तैयार कर दिए हैं. लेकिन रेलवे ने गर्मी से बचाव के लिए कोई उपाय नहीं किए हैं.

रेलवे के कोच को आइसोलेशन वार्ड बनाने में की गई महज खानापूर्ति

इस संबंध में जब रेलवे सीनियर इंडीनियर ओमप्रकाश ढांडा से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि जब कोई आइसोलेशन वार्ड में दाखिल होगा. तब जरूरत के मुताबिक ट्रेन की छतों को कृत्रिम घास से ढक दिया जाएगा. ताकि तापमान का ज्यादा असर डिब्बों पर नहीं पड़े.

आइसोलेशन वार्ड में गर्मी

ईटीवी भारत की टीम ने जब रेलवे द्वारा बनाए गए आईसोलेशन वार्ड का जायजा लिया तो धूप में खड़ी ट्रेन को छूते ही हाथ जलने को आ गए. आइसोलेशन वार्ड के अंदर घुसते ही पूरी उमस थी. लाइट और पंखों की व्यवस्था तो थी लेकिन फिलहाल ये चालू नहीं हैं.

व्यवस्था के नाम पर प्रत्येक सीट के साथ एक एक डस्टबिन रखा मिला, एक केबिन डॉक्टर के लिए बनाया गया है. लेकिन उसमें भी केवल प्लास्टिक का पर्दा बनाकर टांगा गया है. इसके अलावा कोई व्यवस्था नहीं थी. ट्रेन में स्थित चार शौचालयों में से एक शौचालय को बाथरूम का रूप दिया गया है.

ट्रेन की बोगियों में जो वार्ड बनाए गए हैं. उनमें गर्मी से निजात पाने के लिए कोई इंतजाम नहीं है. ट्रेन में लगे पंखे भी ऐसे हैं, जिनकी हवा नीचे तक पूरी नहीं आ पाती है. यदि कोई मरीज दाखिल भी कर लिया गया, तो गर्मी से ही उसकी जान निकल जाएगी.

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Last Updated : Apr 17, 2020, 4:22 PM IST

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