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जींद में छाया थाईलैंड के अमरूदों का जादू, वजन 800 ग्राम और कीमत 200 रुपये प्रति किलो - किसान सुनिल ने उगाए 800 ग्राम के अमरूद

जींद में थाईलैंड के अमरूदों का स्वाद सबकी जुबां पर है. ये कमाल कर दिखाया है कंडेला गांव के किसान सुनील ने. किसान सुनील ने अपने खेत में 800-800 ग्राम के अमरूद उगाए हैं जो थाईलैंड और ताइवान किस्म के है. सुनील आज इन अमरूदों की खेती से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं और दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं.

thailand breed guava in jind
जींद में छाया 'थाईलैंड' के अमरूदों का जादू

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Published : Dec 15, 2019, 2:48 PM IST

जींदःहरियाणा में एक किसान ने अमरूद की ऐसी किस्म तैयार की है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं और किसान की तारीफ कर रहे हैं. कंडेला गांव के किसान सुनिल आज प्रदेश के किसानों के लिए मिसाल बन चुके हैं. किसान सुनील ने ऐसे अमरूद की खेती शुरु की है जो किलोग्राम के हिसाब से नहीं बल्कि प्रति अमरुद 100 रुपये के हिसाब से बिक रहा है. अमरुद का वजन करीब 800 से 1 किलो ग्राम है. खास बात ये है कि अमरुद का टेस्ट भी बहुत बढ़िया है और ये पूरी तरह से रासायनिक पदार्थों से दूर रखकर तैयार किया गया है.

दो साल पहले लगाया था बाग

किसान सुनील बताते हैं कि उन्होंने करीब दो साल पहले तीन एकड़ जमीन पर अमरूद का बाग लगाया था. तब उन्होंने एक एकड़ जमीन पर थाईलैंड की किस्म का अमरुद का बाग भी लगाया था. अब ये अमरुद का बाग पूरी तरह से तैयार हो गया है. यहां पर अब फल लगने शुरू हो गए हैं. इस बार अमरूद की अच्छी पैदावार हो रही है. वहीं, किसान सुनील के मुताबिक इस अमरुद के खेत में उन्होंने ना ही तो किसी प्रकार का कोई रासायनिक पदार्थ डाला है और ना ही किसी प्रकार का स्प्रे किया है.

100 रुपये का है एक अमरुद
कंडेला गांव के किसान सुनील के बाग से हाथों-हाथ अमरूद बिक रहे हैं. भाव प्रति किलो नहीं, बल्कि प्रति अमरूद मिल रहे हैं. एक अमरूद की कीमत 100 रुपये है. ये सुनने में अजीब लगता है कि एक अमरूद के इतने रुपये कैसे. इतने महंगे तो सेब भी नहीं है, लेकिन बता दें कि ये कोई बाजार में मिलने वाले सामान्य अमरूद नहीं हैं. थाइलैंड किस्म के अमरूद हैं. एक अमरूद का वजन 800 ग्राम से एक किलो तक है.

जींद में छाया थाईलैंड के अमरूदों का जादू

ऐसे तैयार किया 800 ग्राम का अमरूद
सुनील ने बताया कि उसने पौधे पर लगे फलों को ट्रिपल प्रोटेक्शन फॉम से कवर किया. जिससे फल पर गर्मी, सर्दी, धूल और बीमारियों का सीधा असर ना हो. इससे अमरूद का साइज भी काफी बढ़ गया और अमरूद पूरी तरह से फ्रेश भी है. इसमें ना तो किसी तरह के स्प्रे का प्रयोग किया गया है और ना ही रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया गया है. सुनील बताते हैं कि उन्होंने खेत में घास-फूस और पौधों के पत्तों को गला कर तैयार की गई खाद का प्रयोग किया है.

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डालते हैं गाय का गोबर
सुनील ने तीन गायें भी रखी हुई हैं. खेतों में गायों के गोबर और मूत्र को खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है. खाद और मूत्र में डी-कंपोजर डाल कर जैविक खाद बनाते हैं. सुनील बताते हैं कि इससे लागत भी काफी आती है और फसल में किसी तरह के कीटनाशकों का प्रयोग भी नहीं करना पड़ता.

सालाना हो रहा है अच्छा मुनाफा
किसान सुनील का मानना है कि वैज्ञानिक तरीके से खेतीबाड़ी की जाए तो काफी फायदा हो सकता है. सुनील ने अपने खेत में आर्गेनिक अरहर से लेकर थाईलैंड के अमरूद तक उगा रखे हैं. अमरूद का वजन 700 से 900 ग्राम के बीच है. जिसका मंडी में अच्छा भाव मिल रहा है. सुनील का कहना है कि प्रति एकड़ के हिसाब से सालाना तीन लाख रुपये की बचत हो जाती है. किसान बागवानी के साथ-साथ उसमें अन्य फसलें भी ले सकते हैं. थोड़ा सा ध्यान देने की जरूरत है, खेती को फायदेमंद बनाया जा सकता है.

सुनील ने बताया कि इस साल बड़ी मात्रा में अमरूद का उत्पादन हुआ है. इसके लिए उन्हें न मार्केटिंग करनी पड़ी और न ही बेचने के लिए मंडी जाना पड़ा. खेत से ही अमरूद खरीदकर ले जाने वालों की होड़ लग गई. आसपास के गांवों के अलावा दूसरे जिलों और राज्यों से भी लोग आ रहे हैं.

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