जींद: बसों की पहले से ही कमी झेल रहे जींद रोडवेज प्रबंधन की अब और ज्यादा परेशानी बढ़ने वाली है. साल की शुरुआत में ही बसों की संख्या में काफी कमी आई है, क्योंकि फरवरी महीने में 12 बसें और रूटों से बाहर हो गई हैं. फिलहाल जींद जिले में 143 बसें बची हैं और जरूरत 200 से ज्यादा की है. आने वाले समय में और भी कई बसें कंडम हो जाएंगी. इससे बसों की संख्या में भारी कमी आएगी.
जींद रोडवेज डिपो के पिछले 6 साल के आंकड़े पर बात करें तो 94 बसें कंडम हो चुकी हैं. जबकि 6 साल में केवल 42 बसें ही डिपो को नई मिल पाई हैं. जींद डिपो को वर्ष 2015 में 12 नई बसें मिली थी. इसके बाद रोडवेज बेड़े में साल 2017 में 30 नई बसें शामिल हुई.
जींद रोडवेज डिपो में बसों की भारी कमी, देखें वीडियो ये भी पढ़ें- सोनीपत में मरीज राम भरोसे ! मरीजों को हो रही है परेशानी
साल 2018 में जींद डिपो में एक भी नई बस नहीं आई. रोडवेज प्रबंधन ने कई बार निदेशालय को पत्र लिखकर नई बसें भिजवाने के लिए अवगत भी कराया था. बावजूद इसके बेड़े में नई बसें शामिल नहीं हो पाई. ऐसे में साल दर साल बसों की संख्या घटती ही जा रही हैं.
ये है रोडवेज बस को कंडम घोषित करने का नियम
नई रोडवेज बस जब बेड़े में शामिल होती हैं तो उस बस की आयु सीमा व किलोमीटर तय होते हैं. नई बस की आयु सीमा 8 वर्ष होती है. इनको 8 वर्ष तक रूटों पर दौड़ाया जाता है और 8 लाख किलोमीटर तय करने होते हैं. जब आयु व किलोमीटर पूरे हो जाते हैं तो बसों को कंडम घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद इन बसों को रूटों पर नहीं लाया जा सकता.
हर साल रोडवेज बेड़े से कई बसें कंडम हो जाती हैं, लेकिन उन बसों के बदले सरकार कोई नई बस नहीं दे रही है. इससे रूट प्रभावित तो हो ही रहे हैं बल्कि यात्रियों को भी समय पर रोडवेज सेवा मुहैया नहीं हो पा रही है. अब इन 12 बसों के कंडम होने से रोडवेज डिपो और कमजोर हो जाएगा. इसका असर रोडवेज के साथ-साथ यात्रियों पर भी पड़ेगा.
12 मिनी और 70 नई बसों की भेजी हुई है डिमांड: जीएम
जींद रोडवेज प्रबंधन ने सरकार के पास 12 मिनी बस और 70 नई बसों की डिमांड भेजी हुई है. पिछले दिनों सरकार की ओर से बसों की जरूरत को लेकर मांगी गई थी. उसके बाद डिपो प्रबंधन ने जानकारी दे दी थी, लेकिन उसके बाद अब सरकार नई बसों को डिपो में कब भेजेगा, इसकी अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है. इसी महीने 12 बसें कंडम होने से रोडवेज डिपो पर काफी फर्क पड़ेगा.
हालांकि, सरकार निजी बसों को 26.92 रुपये प्रति किलोमीटर पर रोडवेज के बेड़े में शामिल करने की बात कह रही है, लेकिन रोडवेज कर्मचारी सरकार के इस फैसले के खिलाफ हैं. किलोमीटर स्कीम के खिलाफ रोडवेज कर्मचारी कई बार हड़ताल भी कर चुके हैं.