जींद:देशभर में आंगनवाड़ी केंद्र एक विशेष उद्देश्य के लिए खोले गए हैं. जिनका उद्देश्य कुपोषण से मरने वाली बच्चों और महिलाओं को बचाना है. ये आंगनवाड़ी केंद्र अपने क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं को पोषक भोजन, स्वास्थ्य सहायता और दवाइयां उपलब्ध कराते हैं, ताकि गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानी ना हों, जो आंगनवाड़ी वर्कर दूसरों के स्वास्थ्य के लिए कोरोना काल में दिन रात लगी हैं. वो खुद सुविधाओं के लिए मोहताज हैं.
जींद जिले में 1433 आंगनवाड़ी केंद्र हैं. जिन पर 19 हजार 817 दूध पिलाने वाली महिलाएं, गर्भवती महिलाएं और 72 हजार 770 बच्चे 6 साल से कम उम्र के बच्चों की जिम्मेदारी है. आंगनवाड़ी केंद्र इन बच्चों के वजन, उनका टीकाकरण, महिलाओं के खाने-पीने सहित उनके तमाम रिकॉर्ड रखते हैं. कोरोना की वजह से आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चे तो नहीं आ रहे, लेकिन इन आंगनवाड़ी वर्कर्स का काम और ज्यादा बढ़ गया है. इनको घर-घर जाकर इनकी मॉनिटरिंग करनी पड़ रही है. जींद जिले में 119 बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. इसके पीछे की वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
आंगनवाड़ी वर्करों का कहना है कि उनके पास वर्कलोड इतना ज्यादा है, लेकिन तनख्वाह के नाम पर मात्र 11 हजार रुपये दिए जाते हैं. पटवारी से ज्यादा रजिस्टर उनके पास हैं. जिनको रखने के लिए कोई अलमारी भी नहीं है. कभी इन रजिस्टर को चुहे कुतर जाते हैं तो कभी बारिश से खराब हो जाते हैं. उनको बच्चों और महिलाओं के रिकॉर्ड रखने में कई तरह की परेशानियां हो रही हैं.