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सरकार और आढ़तियों की खींचतान में कहीं पिस ना जाए किसान!

20 अप्रैल से सूबे में गेहूं की खरीद शुरू होगी. एक तरफ सरकार गेहूं की खरीद को ऑनलाइन तरीके से करने का मन बना चुकी है तो दूसरी तरफ प्रदेश भर के आढ़ती सरकार के इस फैसले से नाराज नजर आ रहे हैं. देखिए रिपोर्ट.

aadhti are holding an indefinite strike
aadhti are holding an indefinite strike

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Published : Apr 19, 2020, 12:31 PM IST

जींद: गेहूं खरीद को लेकर सूबे में आढ़तियों और सरकार के बीच ठन गई है. एक तरफ सरकार ऑनलाइन फसल खरीद की तैयारी कर रही है तो दूसरी तरफ आढ़ती गेहूं की फसल को मैनुअल तरीके से खरीद की मांग कर रहे हैं.

अपनी मांगों को लेकर आढ़तियों ने अनिश्चिताकलीन हड़ताल का ऐलान किया है. जींद के सभी 200 से ज्यादा आढ़ती अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. उन्होंने अपने लाइसेंस को मार्केट को सरेंडर कर दिया है.

आढ़तियों ने कहा है कि किसी भी कीमत पर हम ऑनलाइन खरीद का समर्थन नहीं करेंगे. सरकार चाहे कुछ भी कर ले. जबतक हमारी मांगे पूरी नहीं होती तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी. फिलहाल आढ़तियों और सरकार के बीच बातचीत जारी है.

वीडियो पर क्लिक कर देखें स्पेशल रिपोर्ट

कहां फंसा है पेंच?

1. सरकार का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए गेहूं की फसल की खरीद ऑनलाइन की जाएगी. इसके लिए किसानों को मेरी फसल, मेरा ब्योरा नाम की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा.

वहीं आढ़तियों का कहना है कि गेहूं की फसल की खरीद ऑनलाइन नहीं बल्कि मैनुअल तरीके से हो. इस दौरान वो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखेंगे.

2. सरकार का कहना है कि किसानों को पेमेंट वो सीधा उनके खातों में रुपये डालकर करेगी और आढ़तियों को उनके हिस्से की पेमेंट करेगी.

आढ़तियों का कहना है कि पहले की तरह ही किसानों के पेमेंट हमारे जरिए होनी चाहिए. सरकार पहले हमें पेमेंट करेगी और फिर हम किसानों को फसल की पेमेंट करेंगे.

3. सरकार का कहना है कि आढ़तियों को 24 घंटे के अंदर ही किसानों को पेमेंट करनी होगी.

जबकि आढ़तियों का कहना है कि जबतक गोदाम में फसल पहुंचने के बाद उनको पेमेंट की पर्ची मिलेगी. उससे पहले किसानों को पेमेंट करना असंभव है.

4. सरकार का कहना है कि आढ़तियों को किसानों को पेमेंट करने के लिए अलग से बैंक में खाता खुलवाना पड़ेगा. लेन-देन की सारी प्रक्रिया उसी खाते से होगी.

आढ़तियों का कहना है कि ये सरकार का तुगलकी फरमान है. हमारे पहले की बैंकों में खाते खुले हुए हैं. ऐसे में नया खाता खुलने से उनपर बोझ बढ़ेगा.

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सरकार का अपना पक्ष है और आढ़तियों की अपनी दलीलें, लेकिन इनसब के बीच परेशानी किसानों को ही होगी. मार्केट कमेटी के सचिव ने उम्मीद जताई है कि खरीद शुरू होने से पहले ही सब ठीक हो जाएगा. सरकार और आढ़तियों के बीच बातचीत जारी है.

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