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दीपक पूनिया के हारने पर मायूस पिता बोले- भविष्य में और मौके आएंगे, बढ़िया खेला बेटा

हरियाणा के पहलवान दीपक पूनिया के नाम भले ही ओलंपिक ((Tokyo Olympics 2021) में पदक न आया हो, लेकिन उनकी प्रतिभा देखकर सभी प्रभावित हैं. अगले ओलंपिक में वो देश को पदक दिलवाने का माद्दा रखते हैं. दीपक पूनिया के पिता का कहना है कि भविष्य में और भी कई मौके आएंगे, जब दीपक देश के लिए मेडल लेकर आएंगे.

haryana wrestler deepak punia lost bronze medal
दीपक पूनिया ने हारा मैच लेकिन जीत लिया करोड़ों देशवासियों का दिल

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Published : Aug 5, 2021, 6:10 PM IST

झज्जर: टोक्यो ओलंपिक 2021 (Tokyo Olympics 2021) में हरियाणा के पहलवान दीपक पूनिया (Haryana Wrestler Deepak Punia) का देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीतने का सपना अधूरा रह गया. दीपक पूनिया (Deepak Punia Lost Bronze Medal) को पुरुष फ्रीस्टाइल 86 किग्रा भार वर्ग के कांस्य पदक मुकाबले सैन मरिनो के माइल्स अमीन के हाथों 2-4 से हार का सामना करना पड़ा.

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दीपक पूनिया (Deepak Punia) ने अच्छी शुरुआत की थी. उन्होंने 2-0 की बढ़त बना ली थी, लेकिन वो इसे आखिरी तक कायम नहीं रख सके. माइल्स ने इसके बाद दो अंक हासिल कर लिए. पहले राउंड के बाद स्कोर पूनिया के पक्ष मे था लेकिन आखिरी के 10 सेंकड में वो पिछड़ गए और ओलंपिक मेडल जीतने का सपना चकनाचूर हो गया. दीपक को 4-2 से शिकस्त झेलनी पड़ी. दीपक पूनिया की हार पर उनके पिता सुभाष पूनिया ने कहा कि मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. वो (दीपक पूनिया) बहुत कम उम्र में खेल रहे हैं और भविष्य में और भी कई मौके आएंगे, जब वो देश के लिए मेडल लेकर आएंगे.

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वहीं दूसरी तरफ टोक्यो ओलंपिक में हरियाणा के दूसरे पहलवान रवि कुमार दहिया (Ravi Dahiya) ने कमाल कर दिया. हरियाणा के रवि ने कुश्ती के 57 किग्रा वर्ग में देश के लिए सिल्वर मेडल जीता. फाइनल मुकाबले के पहले पीरियड में उगयेव ने दो अंक लिए, लेकिन रवि ने तुरंत वापसी की और दो अंक बटोर स्कोर बराकर किया. हालांकि, फिर उगयेव ने दो अंक लेकर 4-2 की बढ़त ली. इसके बाद दूसरे पीरियरड में भी उगयेव ने एक अंक लिए. फिर उगयेव ने दो और अंक हासिल कर स्कोर 7-2 कर दिया. हालांकि, रवि ने एक बार फिर वापसी की और दो अंक बटोर फासला कम कर लिया. लेकिन उनकी ये कोशिश मुकाबला जीतने के लिए काफी नहीं रही और उन्हें इस हार के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा.

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