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झज्जर में पीटीआई शिक्षकों ने मुंडन कराकर किया प्रदर्शन - झज्जर न्यूज

झज्जर में बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान पीटीआई अध्यापकों ने शहर के मुख्य चौराहे पर मुंडन कराकर अपना विरोध प्रदर्शन किया.

PTI teachers protest against government in jhajjar
झज्जर में मुंडन कारकर बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

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Published : Jun 19, 2020, 7:45 PM IST

झज्जर:पिछले कई दिनों से हरियाणा सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों ने शुक्रवार को जिले में अनोखा प्रदर्शन किया. पीटीआई अध्यापकों ने प्रदर्शन करते हुए पहले ताली और थाली बजाई और बाद में शहर के मुख्य चौराहे राव तुलाराम चौक पर मुंडन कराया. हालांकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की भी जमकर धज्जियां उड़ाई गई.

प्रदर्शन के दौरान पीटीआई अध्यापकों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. इस दौरान बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. पीटीआई अध्यापकों ने सरकार से मांग की है कि या तो उन्हें नौकरी दी जाए या फिर इच्छा मृत्यु की इजाजत दी जाए.

झज्जर में मुंडन कर बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन.

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प्रदर्शन में भारी संख्या में महिला पीटीआई भी शामिल थी. प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने कहा कि सरकार के फैसले के विरोध में पीटीआई अध्यापक सड़कों पर भीख मांग चुके हैं. शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के लिए मुंडन कराने का फैसला किया गया था. उसी के तहत कई अध्यापकों ने शहर के मुख्य चौराहे पर मुंडन कराया.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.

बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.

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