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बहादुरगढ़ में प्रशासन की लापहरवाही से प्रवासी मजदूरों को हो रही परेशानी - bahadurgarh migrant laborers

बहादुरगढ़ में प्रशासन की लापहरवाही देखने को मिली है. बताया जा रहा है कि बहादुरगढ़ से प्रवासी श्रमिकों को पश्चिम बंगाल रवाना करने के लिए हरियाणा रोडवेज की बसों से गुरुग्राम रेलवे स्टेशन लाया गया था. लेकिन वहां ट्रेन में जगह नहीं होने के चलते उन्हें वापस बहादुरगढ़ बस स्टैंड पर लावारिस की तरह छोड़ दिया गया. रात के समय प्रवासी मजदूरों के लिए ना तो खाने की व्यवस्था की गई और ना ही रहने की.

Migrant laborers getting problem of food and drink in Bahadurgarh
बहादुरगढ़ में प्रशासन की लापहरवाही के चलते, प्रवासी मजदूरों को हो रही परेशानी

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Published : Jun 1, 2020, 5:00 PM IST

झज्जर: बहादुरगढ़ में प्रशासन की लापहरवाही का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि शनिवार को बहादुरगढ़ से 376 प्रवासी श्रमिकों को पश्चिम बंगाल भेजने के लिए प्रशासन की ओर से व्यवस्था की गई थी. श्रमिकों का मेडिकल परीक्षण करने के बाद उन्हें हरियाणा रोडवेज की बसों की सहयता से गुडगांव रेलवे स्टेशन लाया गया. लेकिन वहां ट्रेन में बैठाने के लिए सिर्फ 1500 मजदूरों की व्यवस्था की गई थी.

पश्चिम बंगाल जाने के लिए करीब 3000 मजदूर रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए थे. जिसके चलते बहादुरगढ़ के प्रवासी श्रमिकों को वापस बहादुरगढ़ लाया गया. बताया जा रहा है कि प्रशासन द्वारा प्रवासी श्रमिकों को रात के समय बहादुरगढ़ बस स्टैंड पर लावारिस की तरह छोड़ दिया गया. प्रशासन द्वारा ना तो मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था की गई और ना ही रहने की. जिसके चलते उन्हें खासी परेशानी का सामना करना पड़ा.

बहादुरगढ़ में प्रशासन की लापहरवाही से प्रवासी मजदूरों को हो रही परेशानी

मजदूरों का कहना है कि वो किराए के मकानों में रहते थे. मकान मालिक का पूरा हिसाब किताब करके के बाद वो अपने घर जा रहे थे. लेकिन प्रशासन द्वारा उन्हें बस स्टैंड पर वापस लाकर छोड़ दिया गया है ऐसे में अब कोई भी मकान मालिक उन्हें वापस घर नहीं आने दे रहा है. क्योंकि सभी को कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा है. प्रवासी मजदूरों ने सरकार से उन्हें घरों तक पहुंचाने की मांग की है.

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वहीं प्रवासी मजदूरों की परेशानी को देखते हुए समाजसेवी सुरेंद्र चुघ ने उनके खाने की व्यवस्था की. लेकिन रहने की व्यवस्था वो भी नहीं कर सके. बता दें कि प्रवासी मजदूर अपने घर जाने की आस में बेहद परेशान हैं. लेकिन कोई भी प्रशासनिक अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

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