झज्जरःकोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन की मार से कोई भी कारोबारी तबका बच नहीं पाया है. ऐसे में देश और प्रदेश में फुटवियर इंडस्ट्री पर भी इसकी जबरदस्त मार पड़ी है. देश में करीब 22 अरब फुटवियर का सालाना प्रोडक्शन होता है और 11 लाख मजदूर इस इंडस्ट्री में काम करते है.
देश के नॉन लेदर फुटवियर इंडस्ट्री में हरियाणा का बहादुरगढ़ शहर करीब 50 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी रखता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते 1 महीने में यहां कि इंडस्ट्री को करीब 5-6 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है.
सालाना टर्नओवर 20-22 हजार करोड़ रुपये
बहादुरगढ़ में देश का सबसे बड़ा शू क्लस्टर है. जिसमें बाटा, एक्शन, लखानी, एक्वा लाइट जैसी नॉन लेदर फुटवियर कंपनियां अपना प्रोडक्शन देती है. यहां की करीब 1 हजार फैक्ट्रियों में 2 लाख के करीब मजदूर काम करते हैं. फैक्ट्रियों का सालाना टर्नओवर करीब 20-22 हजार करोड़ रुपए का है. यूएई, ओमान, दक्षिण अफ्रीका और कई एशियाई देशों में यहां से करीब 2,000 करोड़ रुपये का फुटवियर हर साल एक्सपोर्ट किया जाता है.
लॉकडाउन में हरियाणा की फुटवियर इंडस्ट्री को 5 हजार करोड़ का नुकसान सरकार से कारोबारियों की गुहार
बहादुरगढ़ फुटवियर एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट नरेंद्र छिकारा का कहना है कि लॉकडाउन के कारण सभी फैक्ट्रियां बंद हो गई थी. एसोसिएशन ने 3 मई तक सभी फैक्ट्रियां बंद करने का निर्णय लिया है और अगर लॉकडाउन आगे बढ़ता है तो भी वो या तो अपनी फैक्ट्रियां बंद रखेंगे या फिर 33% श्रमिक लगाकर फैक्ट्री में प्रोडक्शन शुरू करेंगे. लॉकडाउन के दौरान यहां कि फुटवियर फैक्ट्रियों की मशीनें धूल फांक रही हैं. जिसके चलते फैक्ट्री मालिक अपने कर्मचारियों का वेतन देने में खुद को सक्षम नहीं पा रहे हैं.
फैक्ट्री मालिक सचिन अग्रवाल ने कहा कि वे लॉकडाउन पीरियड की सैलरी श्रमिकों को देने में असमर्थ है. ऐसे में सरकार से ईएसआई अथवा अन्य किसी फंड से श्रमिकों की सहायता करें. इतना ही नहीं अगर सरकार 1 साल तक बैंक की किस्त नहीं चुकाने वाले उद्योगपतियों को एनपीए होने से बचाने के लिए भी कोई रास्ता निकालती है तो उद्योग जगत को बहुत राहत मिल सकती है.
सरकार से कारोबारियों की मांगें
- केंद्र सरकार से चीन से इंपोर्ट होने वाला जूता रोक लगाने की मांग.
- बिजली बिल पर सरचार्ज माफ किया जाए.
- लोन की किस्त पर ब्याज माफ करने की मांग.
- 1 साल तक बैंक की किस्त ना चुका पाने वाले उद्योगपतियों के लोन को एनपीए होने से बचाया जाए.
- सरकार उद्योगपतियों को राहत पैकेज दे.
फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि लॉकडाउन खुलने के बाद भी जूता बनाने वाली फैक्ट्रियों को लाइन पर आते आते करीब दो से तीन महीने का समय लग जाएगा. जूता बनाने और बेचने के साथ-साथ इसकी सप्लाई चैन भी बिल्कुल टूट चुकी है. ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि फैक्ट्रीयां लॉकडाउन खुलने के बाद सुचारू रुप से चल सके और श्रमिकों को बेरोजगार होने से बचाया जा सके.
ये भी पढ़ेंः- सरकारी इंतजाम नाकाफी, बारिश में भीगा मंडियों में रखा किसानों का गेंहू