झज्जर:21 दिनों के लिए पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया गया है. इस लॉकडाउन से अगर किसी को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है तो वो है मजदूर वर्ग. मजदूर वर्ग के पास अब ना तो काम है और ना घर चलाने के लिए पैसे. आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे मजदूर अब अपने घरों की ओर निकल रहे हैं.
ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने उन मजदूरों से बात की जो कल चरखी दादरी से पैदल निकले थे और आज झज्जर पहुंचे. ये मजदूर झज्जर से दिल्ली के लिए रवाना हुए और उसके बाद यूपी में प्रवेश करेंगे.
इन मजदूरों ने हमारी टीम को बताया कि ये लोग चरखी दादरी में किसी ठेकेदार के पास बिल्डिंग तोड़ने का काम करकते थे. ठेकेदार ने लॉकडाउन होते ही इनको काम से निकाल दिया और ना ही इनके पैसे दिए. जिसके बाद इन्होंने पैदल ही अपने घरों की ओर निकलने का फैसला किया.
'यहां मरने से तो अच्छा है कि 6-7 दिनों में अपने घर ही पहुंच जाएं' ये भी पढ़ें-LOCKDOWN: दिहाड़ी-मजदूरी करने वालों के सामने दिक्कतों का पहाड़
इनकी मानें तो इनको रास्तेभर पुलिस का खौफ झेलना पड़ा. कई बार तो पुलिस ने इन मजदूरों पर डंडे भी बरसाए. वहीं ये मजदूर पुलिस की मार झेलते-झेलते किसी तरह से झज्जर पहुंचे. मजदूरों ने बताया कि उनके पास खाने-पीने तक के पैसे नहीं हैं. इस दौरान कुछ सामाजिक लोगों ने इनको खाना खिलाया और आर्थिक सहयोग भी दिया.
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार इस बात की घोषणा कर चुकी है कि प्रदेश के दिहाड़ी मजदूरों को किसी तरह की आर्थिक तंगी नहीं झेलनी पड़ेगी, लेकिन फिर भी ये लोग इस हाल में जीने को मजबूर हैं. सरकार ने अपनी ओर से इन मजदूरों के लिए घोषणा तो कर दी, लेकिन जमीनी हकीकत आपके सामने है.