झज्जर: रबी फसल की कटाई के बाद अब खरीफ फसलों की बुआई की तैयारी करने का समय आ गया है. इस समय सबसे ज्यादा धान की पौध तैयार की जा रही है. धान की पौध तैयार करने के बाद धान का पौध का रोपड़ किया जाएगा. धान में सबसे ज्यादा पानी की खपत होती है. इसलिए हरियाणा सरकार ने पानी बचाने के लिए किसानों से धान की फसल छोड़ने की अपील की है. जो किसान धान की फसल की बुआई छोड़ेंगे, उनको 7 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से दिया जाएगा.
इस बात जानकारी देते हुए उपायुक्त जितेंद्र कुमार ने किसानों से कहा कि सभी किसनों को जल संरक्षण की दिशा में मिलकर आगे बढ़ना होगा. किसानों को धान की जगह कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे कि मक्का, अरहर, ज्वार, तिल, ग्रीष्म मूंग (समर मूंग) और अन्य फसलों की बुआई करनी चाहिए. इससे हम आने वाली पीढ़ी के लिए पानी की बचत सुनिश्चित करने के साथ-साथ सरकार के 'जल ही जीवन है' अभियान को भी आगे बढ़ा सकेंगे.
उपायुक्त जितेंद्र कुमार ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने भी राज्य में जल संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए 'मेरा पानी-मेरी विरासत' योजना शुरू की है. साथ ही राज्य के किसानों को भी जल संरक्षण को लेकर प्रेरित किया जा रहा है. किसानों को अपना मन बनाना होगा कि आगामी खरीफ फसल बुआई की तैयारी करने से पहले ही ये तय कर ले कि हमें धान नहीं, बल्कि अन्य वैकल्पिक फसलें अपनानी होगी, ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी बचा सकें.
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जो किसान पंचायती जमीन ठेके पर लेकर खेती करते हैं. वे धान के स्थान पर मक्का, अरहर और अन्य फसलों की ही बुआई करें और सरकार की ओर से चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा बनें. वे गेहूं की फसल की कटाई के बाद धान की बजाय ढैंचा लगाएं, जो पशु चारे के साथ-साथ हरी खाद का काम भी करता है. आमतौर पर किसान कुछ समय बाद ढैंचे की फसल की खेत में जुताई कर देता है और इससे भूमि की उर्वरक शक्ति भी बढ़ती है.