झज्जर:एक तरफ ऑनलाइन लेन देन लगातार बढ़ रहा है और इसके ज्यादा इस्तेमाल से लोगों को फायदा तो हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. फर्जी फोन कॉल, फर्जी लिंक या फिर बातों में उलझाकर एटीएम पिन हासिल कर हुए फ्रॉड तो आपने सुनें होंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि अगर आप कहीं अपना अंगूठा लगाते हैं और आधार नम्बर साथ में देते हैं तो आपके अंगूठे और आधार नम्बर से भी आपका खाता खाली किया जा सकता है. दरअसल झज्जर तहसील ऑफिस में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है
तहसील ऑफिस से लोगों से लूट: 70 से ज्यादा लोगों के अंगूठे और आधार कार्ड का इस्तेमाल कर उनके खातों से लाखों रुपये लूटे जा चुके हैं. अब आप कहेंगे कि ये लुटेरे आपके अंगूठे और आधार नम्बर कहां से लेते हैं तो आपको बता दें कि ऐसा तहसील ऑफिस से किया जा सकता है. जी हां, वही तहसील ऑफिस जहां आप अपनी जमीन की रजिस्ट्री (land registry scam) करवाने जाते हैं. रजिस्ट्री के वक्त बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो अंगूठा लगाते हैं और आधार नम्बर तो रजिस्ट्री में लिखा ही होता है.
बेरी तहसील ऑफिस में लोगों से लूट: तहसील ऑफिस के लोगों के साथ मिलकर ऑनलइन लूटने वाले लोग आपके अंगूठे और आधार नम्बर हासिल कर लेते हैं. ताजा खबर है झज्जर से जहां लुटेरे फिंगर प्रिंट (Robbed with finger print)का क्लोन तैयार कर ऑनलाइन लूट मचाते थे. झज्जर और बेरी तहसील ऑफिस के कर्मचारियों के साथ मिलकर रजिस्ट्रियों से फिंगर प्रिंट हासिल कर लाखों की लूट को अंजाम दे चुके हैं. फिलहाल ये दो लुटेरे पुलिस की गिरफ्तर में आ चुके हैं.
70 से ज्यादा लोगों को बनाया निशाना: झज्जर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अभी तक दोनों आरोपियों ने 70 लोगों को अपना शिकार बनाया है. ज्यादातर मामले बेरी तहसील के हैं. ऑनलाइन लूट मचाने वाले एक आरोपी को जमुई बिहार और दूसरे को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया. ऑनलाइन ई पेमेंट सिस्टम यानि एईपीएस (AEPS) इसका मतलब है कि आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (aadhar enabled payment system) मूल रुप से यह एक आधार आधारित भुगतान सेवा है इसी के जरिए ये सारा फ्रॉड होता है.
शातिराना अंदाज में ठगी: चालबाज व्यक्ति पहले अंगूठे के निशान और आधार नम्बर का इस्तेमाल कर बैंक कॉरस्पोंडेंस आई डी बनवाता है. फिंगर प्रिंट का रबड़ क्लोन तैयार करवाता है. उसके बाद चैक किया जाता है कि आधार नम्बर किसी बैंक खाते से जुड़ा है जब ऐसा खाता मिल जाता है. तब इलेक्ट्रॉनिक लेन देन के लिए किसी भी प्लेटफॉर्म पर जाकर ऑनलाइन फर्जी अकाउन्ट खोल लेते हैं.