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हरियाणा में स्ट्रॉबेरी की खेती कर किसान सालाना कमा रहे 20 से 25 लाख रुपये, जानें खेती करने का तरीका

किसान अगर पारंपरिक खेती को छोड़ बागवानी की ओर ध्यान दे तो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. बागवानी फसलों की खासियत है कि इनका बाजार में दाम अच्छा मिलता है. इन्हीं में से एक है स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry farming). जिससे हिसार के किसान साला लाखों रुपये कमा रहे हैं.

strawberry cultivation in haryana
strawberry cultivation in haryana

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Published : Jan 3, 2023, 9:46 AM IST

Updated : Jan 3, 2023, 12:10 PM IST

हरियाणा में स्ट्रॉबेरी की खेती कर किसान सालाना कमा रहे 20 से 25 लाख रुपये, जानें खेती करने का तरीका

हिसार: इन दिनों हरियाणा के किसान परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी और अन्य खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं. अगर आप भी कम लागत, कम समय में भारी मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry farming) आपके लिए मुनाफे का सौदा बन सकती है. हिसार के किसान सुरेंद्र सिंह 10 एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी (strawberry cultivation in hisar) की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. इनकी स्ट्रॉबेरी की डिमांड सिर्फ हिसार तक नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों में भी भारी डिमांड है.

पौधों पर फूल आने पर मल्चिंग की जाती है. यानी इसे पॉलिथीन से कुछ इस तरह से ढक दिया जाता है.

हिसार उत्तरी भारत का बहुत बड़ा क्लस्टर बन चुका है. जहां करीब 400 एकड़ में स्ट्रॉबेरी फार्मिंग होती है. स्याहडवां गांव के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती से सालाना 20 से 25 लाख रुपए कमा लेते हैं. 20 से ज्यादा किसान सुरेंद्र के साथ स्ट्रॉबेरी फॉर्मिंग में लगे हुए हैं. कम लागत ज्यादा पैदावार से बंपर कमाई, स्ट्रॉबेरी भी इन्हीं फसलों में से एक है. जिसकी पैदावार करके आप 60 से 70 दिनों में बंपर कमाई कर सकते हैं. हिसार के किसान सुरेंद्र सिंह स्ट्रॉबेरी की खेती कर सालाना 20 से 25 लाख रुपए कमा लेते हैं. 20 से ज्यादा किसान सुरेंद्र के साथ ही स्ट्रॉबेरी फार्मिंग में लगे हुए हैं. जिनकी रोजी रोटी इसी फॉर्म से चलती है.

इस तरह की क्यारियां बनाकर स्ट्रॉबेरी को बोया जाता है.

हिसार के स्याहडवां गांव के किसान सुरेंद्र ना सिर्फ स्ट्रॉबेरी की खेती करके लाखों कमा रहे हैं, बल्कि 20 से ज्यादा ग्रामीणों को रोजगार भी दे रहे हैं. सुरेंद्र ने बताया कि उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत 2002 से की थी. वो भी सिर्फ 2 एकड़ से. अभी वो 10 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. जिससे वो सालाना 20 से 25 लाख रुपए मुनाफा कमा रहे हैं. सुरेंद्र ने बताया कि जो फ्रूट होता है. इसे पैक करके ढाई सौ ग्राम के पीनट्स बनाए जाते हैं. यानी 8 पीनटस एक बॉक्स में रखे जाते हैं. यानी 2 केजी के बॉक्स बनाते हैं. फिर इसे बेचने के लिए हिसार मार्केट के अलावा दिल्ली-एनसीआर के सुपरमार्केट्स में भेजा जाता है.

स्ट्रॉबेरी का एक बॉक्स करीब दो किलोग्राम तक का होता है.

स्ट्रॉबेरी की खेती सामान्य तौर पर सितंबर और अक्टूबर में की जाती है. लेकिन ठंडी जगहों पर इसे फरवरी और मार्च में भी बोया जा सकता है. वहीं पॉली हाउस में या संरक्षित विधि से खेती करने वाले किसान अन्य महीनों में भी बुवाई कर सकते हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती ठंडे जलवायु में की जाती है. इसका पौधा कुछ ही महीनों में फल देने लायक हो जाता है. भारत में स्ट्रॉबेरी (Strawberry Farming) की खेती कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊपरी हिस्सों में की जाती है. अब हरियाणा में भी इसी खेती की जाने लगी है. महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में भी किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं.

इस खेती से लागत कम और कम वक्त में मुनाफा ज्यादा होता है.

स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करें?(how to cultivate strawberry): स्ट्रॉबेरी की बुवाई से पहले खेत की मिट्टी पर विशेष काम करना पड़ा है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, खेती की मिट्टी को बारिक करने के बाद क्यारियां बनाई जाती हैं. क्यारियों की चौड़ाई डेढ़ मीटर और लंबाई 3 मीटर के आसपास रखी जाती है. इसे जमीन से 15 सेंटीमीटर ऊंचा बनाया जाता है. इन्हीं क्यारियों पर स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए जाते हैं. पौध से पौध की दूरी और कतार से कतार की दूरी 30 सेंटी मीटर रखने की सलाह दी जाती है. वहीं 1 कतार में लगभग 30 पौधे लगाए जा सकते हैं.

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रोपई के बाद किसान इस बात का ध्यान रखें कि पौधों पर फूल आने पर मल्चिंग जरूर करें. मल्चिंग काले रंग की 50 माइक्रोन मोटाई वाली पॉलीथीन से करनी चाहिए. इससे खरपतवार पर नियंत्रण हो जाता है और फल सड़ने से बच जाते हैं. मल्चिंग करने से पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है और मिट्टी में नमी भी थोड़ी ज्यादा देर तक बरकरार रहती है. कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि पूरी दुनिया में स्ट्रॉबेरी की करीब 600 किस्में मौजूद हैं. हालांकि भारत में व्यावासायिक खेती करने वाले किसान कमारोसा, चांडलर, ओफ्रा, ब्लैक मोर, स्वीड चार्ली, एलिस्ता और फेयर फॉक्स जैसी किस्मों का इस्तेमाल करते हैं. भारत के मौसम के लिहास से ये किस्में सही रहती हैं.

Last Updated : Jan 3, 2023, 12:10 PM IST

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