हिसार: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान केंद्र सरकार को घेरने में जुटे हैं. इस समय किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर तीनों कृषि कानून रद्द नहीं होते हैं तो वो 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर चलाकर परेड करेंगे. ऐसे में कुछ पूर्व सैनिकों ने किसानों से इस राष्ट्रीय पर्व में खलल नहीं डालने की अपील की है.
परेड में खलल डालने से सेना का मनोबल प्रभावित होगा
पूर्व सैनिकों का कहना है कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में व्यवधान डालने वाले लोगों से सावधान रहें और भारत की प्रतिष्ठा और गरिमा से जुड़े इस पर्व को धूमधाम से मनाएं. उनका कहना है कि गणतंत्र दिवस समारोह सेना के साथ जुड़ा एक बड़ा पर्व है, जिसमें देश की सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया जाता है. राष्ट्र के लिए कुर्बानी देने वाले वीर शहीदों के सर्वोच्च बलिदान के लिए उनकी विधवाओं को इस दिन सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जाता है. यदि ऐसे में राष्ट्रीय पर्व में कोई खलल डालता है, तो इससे सेना का मनोबल प्रभावित होगा.
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सेना के सम्मानित पदों पर रह चुके अधिकारियों
बता दें कि रविवार को भारतीय थल सेना, वायु सेना, नौसेना, सीमा सुरक्षा बल तथा सिविल डिफेन्स के सेवानिवृत्त अधिकारियों की एक बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में बैठक में जनरल, ब्रिगेडियर्स, कमांडर, कर्नल, लेफ्टिनेंट, कैप्टन तथा विंग कमांडर स्तर के अधिकारियों ने भाग लिया. बैठक के बाद परम विशिष्ट, अति विशिष्ट तथा सेना मेडल से सम्मानित लेफ्टिनेंट जनरल विष्णु कांत चतुर्वेदी और लेफ्टिनेंट जनरल डीपी वत्स (रिटायर्ड) ने कहा कि उनका विश्वास है कि किसान भाई गणतंत्र दिवस समारोह के किसी भी औपचारिक कार्यक्रम में कोई भी व्यवधान नहीं डालेंगे.
किसानों का भी किया समर्थन
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोगों के बयान से असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इस असमंजस की स्थिति को जल्द से जल्द खत्म करना होगा. उन्होंने कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिया गया जय जवान-जय किसान का उद्घोष सिर्फ एक नारा ही नहीं है, बल्कि इस विशाल कृषि प्रधान देश की सच्ची भावना है. देश का सैनिक यदि सीमा पर डटकर शत्रुओं से देश की रक्षा करता है तो भारत का मेहनती किसान अपने खेतों में अनाज उगाकर देशवासियों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करता है.