हिसार: बुधवार को हिसार का AQI 476 पहुंच गया. किसानों की तरफ से जलाई जाने वाली पराली को काफी हद तक इसका जिम्मेदार माना जा रहा है. लेकिन किसानों को पराली ना जलाकर इससे विभिन्न प्रकार की खाद बनाने और आर्थिक फायदे के नुस्खे देने वाली हिसार का चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय खुद वायु प्रदुषण को लेकर गंभीर नहीं है.
हिसार में बढ़ा वायु प्रदूषण
ऐसा लगता है कि पर्यावरण को बचाए जाने की जिम्मेदारी केवल किसानों पर ही है. किसानों को जागरूक करने वाले बुद्धिजीवी और देश के युवाओं को शिक्षा देने वाले शिक्षाविद खुद नियमों को ताक पर रखकर जिम्मेदारी से मुंह मोड़ कर बैठे हैं. साथ ही उन्होंने बेखौफ होकर नियमों को ताक पर रख दिया है. ऐसे में क्या विश्वविद्यालय किसानों से उम्मीद कर सकता है कि वो अपनी सभी मजबूरियों से जूझते हुए पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे.
कृषि विश्वविद्यालय बन रहा वायु प्रदूषण का कारण
विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के साथ-साथ आम जनता को भी मुसीबत में डाला जा रहा है. उपायुक्त की तरफ से सभी अधिकारी, कर्मचारी, किसान और आम आदमी के लिए निर्देश है कि किसी भी प्रकार के अवशेषों या ऐसे पदार्थों में आग ना लगाई जाए, जिससे वायु प्रदूषण को बढ़ावा मिले लेकिन शायद चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय इन निर्देशों से दूर है.