हिसार: हड़प्पा सभ्यता के समय में हड़प्पन लोग दूध और दूध से बनी वस्तुओं जैसे कच्ची लस्सी, दही, मखन, पनीर आदि का प्रयोग अधिक करते थे. उसी समय की परंपरा आज भी पूरे भारत में चली आ रही है. समय के अनुसार बर्तन बदल गए क्योंकि उस समय के लोग मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करते थे और अब उनकी जगह स्टील और अन्य धातु के वर्तन आ गए. एक शोध में ये भी पता चला है कि हड़प्पा कालीन सभ्यता में जिस कृषि की शुरुआत हुई थी. उसका विस्तार भी भारत में ही हुआ है. इस बात की पुष्टि शोधकर्ता एवं पुणे स्थित डेक्कन कॉलेज के पूर्व कुलपति प्रोफेसर वसंत शिंदे ने की.
दर-परतदर खुलती राखीगढ़ी के इतिहास की परतें
राखीगढ़ी में अस्तित्व फाउंडेशन की ओर से आयोजित हेरिटेज सागा ऑफ राखीगढ़ी कार्यक्रम किया गया. जिसमें बाहर से आए सभी लोगों को सभी साइटों का भ्रमण कराया गया. साइटों पर हुई खुदाई की जानकारी दी. भारतीय इतिहास की जानकारी के लिए इस प्रकार के आयोजन बहुत जरूरी है. राखीगढ़ी की साइट के बारे में काफी गलतफहमियां दूर हुई हैं.
पत्रकारों से बातचीत में वसंत शिंदे ने बताया कि मानव सभ्यता के विकास क्रम की शुरुआत राखीगढ़ी से ही हुई थी. इसके बाद हड़प्पा सभ्यता का विकास हुआ. राखीगढ़ी पहले एक छोटा कस्बा था. वो बाद में सुनियोजित नगर के रूप में उभर कर सामने आया. एक शोध में ये भी सामने आया है कि यहां के लोग आर्य थे. हड़प्पा कालीन सभ्यता के लोगों का डीएनए आर्यन लोगों के डीएनए से मेल खाता है. जिससे ये साफ हो गया कि आर्यन लोग यही के थे. हड़प्पा कालीन लोगों का जीन 5 हजार वर्ष पुराना है. पूरे देश में हड़प्पन लोगों के जीन मेल खा रहे हैं.