हिसार: हरियाणा के हिसार (Hisar) जिले के हांसी शहर में किसान सोमवार से बड़ी संख्या में एसपी कार्यालय का घेराव (Farmers Protest At Hansi Sp Office) कर धरने पर बैठे हैं. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) भी इस धरने में शामिल होने के लिए हांसी पहुंचे. हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान भी बड़ी संख्या में इस धरने में शामिल हुए हैं. इस धरने में सम्बोधित करते हुए टिकैत ने संकेत दिया की कल होने वाली बैठक में जेजेपी बीजेपी नेताओं के हरियाणा में विरोध को लेकर संयुक्त मोर्चा कोई बड़ा फैसला ले सकता है.
बता दें कि हांसी में 5 नवंबर को किसानों ने बीजेपी राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा (BJP Rajya Sabha MP Ramchandra Jangra) का विरोध किया था. इस दौरान किसानों पर आरोप लगा है कि उन्होंने सांसद की गाड़ी पर हमला कर दिया. बेकाबू होते प्रदर्शन को दबाने के लिए पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज भी किया. किसानों का आरोप है कि इस दौरान सांसद के साथी ने एक किसान के सिर पर मुक्कों से वार किया. जिसकी वजह से एक किसान के सिर की नस फट गई. किसानों की मांग है कि BJP सांसद का विरोध करने के चलते जिन किसानों पर मुकदमे दर्ज किए उसको खारिज किया जाए. सांसद और उसके लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए.
राकेश टिकैत ने कहा कि बीजेपी नेताओं का विरोध करने की रणनीति बदलने की जरूरत है, देखिए वीडियो ये भी पढ़ें- हिसार लाठीचार्ज: घायल किसान की दिमाग की फटी नस, पुलिस का दावा- मिर्गी आने से गिर कर लगी थी चोट
राकेश टिकैत ने अपने सम्बोधन में कहा कि हरियाणा में जेजेपी-बीजेपी के नेताओं के विरोध को लेकर संयुक्त मोर्चा की बैठक में सुझाव रखा जाएगा कि बीजेपी सरकार आंदोलन को जातियों में उलझाना चाहती है. संयुक्त मोर्चा यह चिन्हित करे कि हरियाणा में किस नेता का विरोध किया जाए किसका नहीं. राकेश टिकैत ने आंदोलन के एक साल होने पर कहा कि 26 नवंबर तक या तो सरकार बातचीत करे, नहीं तो हम अपने तंबू रिपेयर करने शुरू करेंगे.
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टिकैत ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सरकार ये गलत फहमी अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएंगे. किसान वापस जाएंगे तो समाधान लेकर जाएंगे. गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर दिल्ली के चारों बॉर्डर पर किसान संगठन धरना देकर बैठे हैं. प्रमुख किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि ये धरना तब तक जारी रहेगा, जबतक तीनों कानून केंद्र सरकार रद्द नहीं कर देती है.
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