हिसार: हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ शुक्रवार को जिला कार्यालय में पत्रकार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान उनसे राम रहीम के पैरोल और उसके सत्संग (OP Dhankhar statement on Ram Rahim Satsang) में शामिल होने वाले बीजेपी नेताओं को लेकर सवाल किया गया. इस सवाल पर ओपी धनखड़ ने जहां अपनी पार्टी के नेताओं का बचाव किया वहीं राम रहीम का महिमामंडन भी किया. ओपी धनखड़ ने अजीबोगरीब बयान देते हुए कहा कि आस्था व्यक्तिगत होती है. यही नहीं उन्होंने इसकी तुलना भगवान शिव और राम में आस्था रखने वालों से कर डाली.
ओपी धनखड़ से सवाल किया गया कि- संवैधानिक पोस्ट पर हैं डिप्टी स्पीकर (रणवी गंगवा) साहब. वो नतमस्तक हो गये वहां पर (राम रहीम के सत्संग में). वो क्या मैसेज देना चाहते हैं. राम रहीम एक रेपिस्ट है. सजायाफ्ता है. डिप्टी स्पीकर क्या मैसेज देना चाहते हैं.
ओपी धनखड़ ने जवाब दिया- देखिए आस्था एक व्यक्तिगत विषय है. ऐसी अनेक आस्थाएं महापुरुषों के प्रति लोगों की रहती है. किसकी किस पर आस्था है. उसके जीवन में क्या क्या चीजें आती हैं. उसका एक जीवन है. लेकिन आस्थाएं व्यक्तिगत होती हैं और आज भी अनेकों लोगों की आस्थाएं उनके (राम रहीम) प्रति लोगों में हैं और वो रहेंगी. केवल मेरे या आपके कहने से आस्था का चक्र पूर्ण नहीं होता है. भाजपा में सभी प्रकार की आस्था रखने वाले लोग हैं. भगवान शिव में भी रखते हैं, राम में भी रखते हैं. बहुत सारे देवताओं में भी रखते हैं. संतों भी रखते हैं. इसलिए आस्था एक व्यक्तिगत विषय है. इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस पर कोई सवाल बनता है. आप किसी की आस्था को निर्धारित नहीं कर सकते.
दूसरा सवाल- मेरा सवाल भी इसी से जुड़ा है. वो हत्या है. मैं नहीं कह रहा संविधान और कानून कह रहा है. और दूसरा दुष्कर्मी है. उसके सामने नतमस्तक होना व्यक्तिगत आस्था कैसे है.
ओपी धनखड़ का जवाब- देश का कानून सबके लिए काम करता है. कोई जिस प्रकार का काम करता है उसे सजा मिलती है. और उन्हें (राम रहीम का नाम लिये बिना) मिल रही है. उसके कारण से वो जेल में हैं. जो आप कह रहे हो उनकी सजा उन्हें मिल रही है. ये एक अलग विषय है. किसी की आस्था किस व्यक्ति में है. किस कारण से है. ये एक व्यक्तिगत मसला है. ये सार्वजनिक मसले नहीं हो सकते. ये सरकारों के मसले भी नहीं हैं. क्योंकि सरकारों के मसले यहां पर पंथ निरपेक्ष होकर करती हैं. सरकारें किसी की आस्था तय नहीं करती है. आस्था अपनी-अपनी होती है.