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हरियाणा के इस सपूत ने 11 दुश्मनों को मारकर फहराया था करगिल की चोटी पर तिरंगा

शहीद पवित्र कुमार ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए दुश्मन की तीन चौकियों पर तिरंगा लहराने का काम किया था. जब वो चौथी पहाड़ी पर पहुंचे तो अचानक दुश्मनों का एक गोला उनके पास आकर गिरा और उसमें पवित्र सिंह देश के लिए शहीद हो गए.

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Published : Jul 24, 2020, 7:42 PM IST

Updated : Jul 25, 2020, 7:35 AM IST

martyr pavitra singh of hisar who killed 11 pakistani soldiers in kargil war 1999
हरियाणा के इस सपूत ने 11 दुश्मनों को मारकर फहराया था करगिल की चोटी पर तिरंगा

हिसार:करगिल की सफेद बर्फीली चोटियों को अपने लहू से लाल करने वाले रणबांकुरे, जिन्होंने करगिल युद्ध में मां भारती के ललाट पर विजय का रक्त चंदन लगाया था. करगिल युद्ध में दुश्मनों को खदेड़ने वाले भारत के 527 से ज्यादा शूरवीर शहीद और 1300 से ज्यादा घायल हो गए थे. इनमें से अधिकांश अपने जीवन के 30 वसंत भी नहीं देख पाए थे. ऐसे ही एक शूरवीर थे हरियाणा में हिसार जिले के नारनौंद के मिलकपुर गांव के रहने वाले 21 साल के शहीद पवित्र कुमार. जिन्होंने 11 दुश्मनों को मार कर पहाड़ी पर तिरंगा फहराया था और फिर इसी तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचे थे.

दुश्मन की 3 चौकियों पर किया था कब्जा

शहीद पवित्र कुमार ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए दुश्मन की तीन चौकियों पर तिरंगा लहराने का काम किया था. जब वो चौथी पहाड़ी पर पहुंचे तो अचानक दुश्मनों का एक गोला उनके पास आकर गिरा और उसमें पवित्र सिंह देश के लिए शहीद हो गए.

हरियाणा के इस सपूत ने 11 दुश्मनों को मारकर फहराया था करगिल की चोटी पर तिरंगा, देखिए ये रिपोर्ट.

फौज में थे पवित्र सिंह के पिता

शहीद पवित्र सिंह के पिता किताब सिंह भी फौज में थे. शहीद पवित्र कुमार की मां सुजानी देवी को बेटे के चले जाने का गम आज भी सताता है. उनकी आंखों में बेटे को खोने का दर्द झलकता तो है, लेकिन वो यही कहती हैं कि हर मां की कोख से ऐसे बेटे का जन्म होना चाहिए.

शहीद पवित्र कुमार का जन्म 9 अगस्त 1978 को गांव मिलकपुर में एक साधारण परिवार किताब सिंह के घर हुआ. पवित्र कुमार को बचपन से ही फौज में भर्ती होने का शौक था . उन्होंने गांव के ही स्कूल से दसवीं की कक्षा पास की और उसके बाद गांव राखी में पढ़ने के लिए जाने लगे. जब वो बाहरवीं कक्षा में थे तो 1996 में फौज की 8 जाट रेजिमेंट में भर्ती हो गए. 9 जुलाई 1999 को कारगिल में देश के दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए, जिससे उसके गांव का नाम देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया.

आज भी अमर है शौर्यगाथा

शहीद पवित्र सिंह 1996 में 8 जाट रेजिमेंट में भर्ती हुए थे और तीन साल देश की सेवा करने के बाद 1999 में उन्हें कारिगल युद्ध के लिए बुलाया गया. भले ही आज शहीद पवित्र सिंह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आज भी हिसार के लोग उनकी शौर्यगाथा को याद करते हैं.

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ग्रामीणों का कहना है कि शहीद के नाम पर स्मारक स्थल बनाया गया है, लेकिन उसमें अभी सरकारी स्तर पर सुधार की जरुरत है. उन्होंने बताया कि शहीद की याद में स्मृति स्थल बनाया गया है. जहां श्रद्धांजलि दिवस पर शहीद पवित्र सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि दी जाती है और गांव में उनकी याद में खेल कूद प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं.

शूरवीरों को नमन

8 मई 1999 से शुरू हुआ कारगिल युद्ध 26 जुलाई को खत्म हुआ था. 60 दिन चले इस युद्ध में भारत ने अपने कई वीर सपूत गवाए, लेकिन जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर भारत माता का शीश दुश्मनों के आगे झुकने नहीं दिया. कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर देश के हर एक नागरिक को गर्व है और ईटीवी भारत भी कारगिल विजय दिवस के मौके पर उन सभी शूरवीरों को नमन करता है.

Last Updated : Jul 25, 2020, 7:35 AM IST

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